सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर मुआवजा देने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि 2002 के दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रूपए मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास प्रदान किया जाए. उस समय वह पांच महीने की गर्भवती थी .
वहीं उनके पति रसूल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बिल्किस बानो की मदद ना करने के लिए गुजरात सरकार की आलोचना की.
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने 13 अप्रैल को राज्य सरकार को उन्हें 15 दिनों के अंदर मुआवजा देने को कहा था. अब पांच महीने हो चुके हैं लेकिन सरकार ने हमसे एक बार भी संपर्क नहीं किया.’’
रसूल ने कहा कि उनके परिवार ने विजय रूपाणी नीत राज्य सरकार को दो नोटिस भेजे, उसे न्यायालय के आदेश की याद दिलाई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने फिर से शीर्ष न्यायालय का रुख किया.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा , नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया.
गुजरात सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रूपए के मुआवजे का प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिए आवेदन दायर करेगी.
इस पर पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘क्या हमें अपने आदेश में इसका जिक्र करना चाहिए कि इस मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मुआवजे का आदेश दिया गया है.’’ पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजा, नौकरी और आवास उपलब्ध कराए.
सालिसीटर जनरल ने बाद मे न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा.
बिल्किस बानो के पति ने कहा, ‘‘देखते हैं कि राज्य सरकार अब क्या करती है. उसे 15 दिनों के अंदर आदेश का अनुपालन करना होगा अन्यथा अदालत की अवमानना होगी. हम सभी जानते हैं कि बिल्किस ने पिछले 17 बरसों में काफी कुछ झेला है लेकिन हार नहीं मानी.’’
घटना के वक्त बिल्किस गर्भवती थी. उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था. उसके परिवार के सात सदस्य मारे गए थे.