कोर्ट ने एससी/एसटी कानून पर केंद्र की समीक्षा याचिका को तीन सदस्यीय पीठ के पास भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों को लचीला बनाने वाले आदेश की समीक्षा का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका को शुक्रवार को तीन सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा, ‘मामले को सुनवाई के लिए अगले सप्ताह तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष रखें.’
कोर्ट ने केंद्र की समीक्षा की याचिका पर एक मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. उसने कहा था कि देश में कानून जाति के लिहाज से तटस्थ और एक समान होने चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 मार्च को दिए फैसले में कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत डीएसपी स्तर की प्रारंभिक जांच के बाद ही शिकायत दर्ज हो सकेगी. कोर्ट ने यह भी जोड़ा था कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. साथ ही कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की अनुमति लेनी होगी.
कोर्ट के आदेश का शुरुआत में सत्तारूढ़ बीजेपी ने स्वागत किया था, हालांकि बाद में सरकार के खिलाफ दलित-विरोधी पार्टी होने का आरोप लगा. जिसके बाद केंद्र के रवैया में बदलाव आया और उसने संशोधन को असंवैधानिक करार देते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की.
मामले में जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन पर रोक लगाने से मना कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस बदलाव के खिलाफ दायर याचिका और सरकार द्वारा कोर्ट के पुराने फैसले के खिलाफ दायर पुर्नविचार याचिका पर नई पीठ सुनवाई करेगी.
जिसके बाद में केंद्र सरकार ने संसद में संशोधित कानून के जरिए एससी/एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी कर दिया था.