हैदराबाद कथित एनकाउंटर: पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने पर SC कर रहा है विचार


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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तेलंगाना में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चारों आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने पर विचार कर रहा है.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ”हम इस तथ्य के प्रति सचेत हैं कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस घटना का संज्ञान लिया है.” पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत सिर्फ यही चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली में रहने वाले किसी पूर्व न्यायाधीश को इस मामले की जांच करनी चाहिए.

पीठ ने कहा, ”हमारा प्रस्ताव शीर्ष अदालत के किसी पूर्व न्यायाधीश को इस मामले की जांच के लिये नियुक्त करने का है.”

पीठ ने स्पष्ट किया कि इस घटना की जांच करने वाले पूर्व न्यायाधीश को दिल्ली में रहकर काम करना होगा.

पीठ ने इसके साथ ही इस कथित मुठभेड़ की विशेष जांच दल से स्वतंत्र जांच कराने के लिये दायर जनहित याचिकाओं को 12 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अधिवक्ता कृषांक कमार सिंह ने कहा कि उन्होंने मुठभेड़ के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित निर्देशों का पालन किया है और सारे मामले को पहले ही राज्य सीआईडी के सुपुर्द कर दिया है.

संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने के लिये शीर्ष अदालत में दो याचिकायें दायर की गई हैं. पहली याचिका अधिवक्ता जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने दायर की है.

मणि और यादव की जनहित याचिका में दावा किया गया है कथित मुठभेड़ ‘फर्जी’ है और इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दायर की जानी चाहिए.

तेलंगाना पुलिस ने 6 दिसंबर को कहा था कि ये आरोपी पुलिस के साथ हुई फायरिंग में मारे गए.

यह घटना सवेरे करीब साढ़े छह बजे हुई जब जांच की प्रक्रिया के दौरान उन्हें वारदात की पुनर्रचना के लिये घटनास्थल पर ले जाया गया था. इन चारों आरोपियों को हैदराबाद के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर गोली मारी गई थी, जहां 27 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था.

मणि और यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि कोई भी निर्दोष महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में संलिप्त आरोपियों का समर्थन नहीं करेगा लेकिन जांच एजेन्सी और पुलिस आयुक्त जैसे उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा इन आरोपियों को अदालत से सजा मिले बगैर ही कानून अपने हाथ में लेकर कथित मुठभेड़ में मारा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल से इस मुठभेड़ की जांच कराने का अनुरोध किया है.


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