बाबरी मस्जिद विवाद: SC ने मध्यस्थता के लिए बनाया पैनल


 

अंततः सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद जमीन विवाद का मध्यस्थता के जरिए समाधान निकालने के लिए तीन सदस्यीय पैनल गठित कर दिया है. इस पैनल की अध्यक्षता जस्टिस एफ एम कलीफुल्ला (सेवानिवृत्त) करेंगे. इसके अलावा पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू और श्री श्री रविशंकर भी होंगे.

शीर्ष कोर्ट ने इस पैनल से एक हफ्ते में मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं. मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाने की प्रक्रिया 4 हफ्ते में शुरू हो जाएगी और 8 हफ्ते में पूरी हो जाएगी. मध्यस्थता की प्रक्रिया से जुड़ी बैठकें फैजाबाद में होंगी और उत्तर प्रदेश सरकार सभी सुविधाएं मुहैया कराएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी.  यहां तक कि मामले में मीडिया भी कोई रिपोर्टिंग नहीं करेगा.

कोर्ट ने यह भी कहा है कि आवश्यक होने पर वह पैनल में किसी और को भी नामित कर सकते हैं.  मध्यस्थ चाहें तो कानूनी सहायता भी ले सकते हैं.

शीर्ष अदालत ने कल सुनवाई के दौरान कहा था कि उसे यह नहीं लगता कि मुख्य रूप से यह मुद्दा 1500 वर्ग फुट भूमि का है, बल्कि यह मुद्दा धार्मिक भावनाओं के बारे में है. अदालत ने जोर देकर कहा था कि यह “सार्वजनिक भावना” से जुड़ा मुद्दा है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 26 फरवरी को इस मुद्दे पर विभिन्न पक्षों को सुना था. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षकारों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को भी कहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए.

 


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