‘सीजेआई यौन उत्पीड़न मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने की थी फुल कोर्ट सुनवाई की मांग’


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चीफ जस्टिस पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ बोबड़े पैनल से मिले थे अथवा नहीं, अब यह बात पेचीदा होती जा रही है.

इंडियन एक्सप्रेस ने आज एक बार फिर लिखा है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने मामले की जांच को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर बहस के लिए ‘फुल कोर्ट’ बुलाने की मांग की थी. अखबार के मुताबिक जस्टिस चंद्रचूड़ ने ये मांग जांच पैनल को बीती दो मई को लिखे गए पत्र में उठाई थी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जस्टिस चंद्रचूड़ के जांच पैनल से मिलने या किसी पत्र के बारे में चल रही मीडिया खबरों को खारिज कर दिया था. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने आज एक बार फिर जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा जांच पैनल को पत्र लिखने की बात पुष्ट की है.

इन खबरों के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस बोबड़े से मिलकर अपनी चिंताएं जाहिर की थीं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पत्र में जांच समिति में एक बाहरी सदस्य को शामिल करने की सलाह भी दी थी. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की तीन रिटायर्ड महिला जजों के नाम भी सुझाए थे.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने जिन महिला जजों के नाम सुझाए थे, उनमें जस्टिस रूमा पॉल, सुजाता मनोहर और जस्टिस रंजना देसाई के नाम शामिल हैं. इनको लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि ये अराजनीतिक और बोर्ड से अलग हैं.

इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि ये पत्र जरूर जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम से लिखा गया है, लेकिन ये केवल उनके निजी विचार नहीं थे. इसमें सुप्रीम कोर्ट के 17 जजों की अनाधिकारिक सहमति थी. सुप्रीम कोर्ट में इस समय चीफ जस्टिस को मिलाकर कुल 22 जज हैं. इसका मतलब है कि पत्र को लिखने से पहले अधिकतम जजों से सलाह-मशविरा किया गया था.

समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया ने लगभग उसी तरह की खबर को प्रकाशित किया है, जिसमें इंडियन एक्सप्रेस ने जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस आर नरीमन के जांच पैनल से मिलने की बात कही थी.

अखबार लिखता है कि सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला की उपस्थिति के बिना ये जांच ना करने की मांग की है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिला ने इस जांच का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. महिला ने इसको लेकर कुछ गंभीर चिंताएं जताई थीं. उसने कहा था, “मैं नहीं समझती कि मुझे जांच करने वाली समिति से न्याय मिलेगा.”

जांच को लेकर असंतोष जताने वाले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ वरिष्ठता क्रम में 10वें नंबर पर हैं और 2022 से लेकर 2024 तक मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं.

इससे पहले ठीक इसी तरह की खबर इंडियन एक्सप्रेस ने छापी थी, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि ये बहुत अफसोसजनक है कि एक प्रमुख अखबार ने पूरी तरह से गलत खबर छापी, जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन के बारे में लिखा गया कि इन्होंने तीन मई 2019 की शाम को जस्टिस एसए बोबड़े से मुलाकात की. इस मुद्दे पर काम करने के लिए गठित आंतरिक जांच कमिटी किसी तरह के बाहरी प्रभाव से मुक्त होकर काम कर रही है.

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