शिलांग टाइम्स के संपादक और प्रकाशक पर दो-दो लाख का जुर्माना


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मेघालय हाईकोर्ट ने अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र शिलांग टाइम्स के संपादक और प्रकाशक पर अदालत की अवमानना के एक मामले में दो-दो लाख का जुर्माना लगाया है. दो सप्ताह के भीतर जुर्माना नहीं देने पर छह महीने की कैद और अखबार को बंद कर दिया जाएगा. चीफ जस्टिस मोहम्मद याकूब मीर और जस्टिस एसआर सेन की पीठ ने यह फैसला सुनाया है.

शिलांग टाइम्स में एक लेख का प्रकाशन छह और 10 दिसम्बर, 2018 को किया गया था. जिसमें सेवानिवृत जजों और उनके परिवार को बेहतर सुविधा देने के फैसले की आलोचना की गई थी. अखबार की संपादक पैटरीसिया मुखिम ने ‘जब न्यायाधीशों ने अपने लिए ही फैसले सुनाए’ नाम से एक आलेख लिखा था.

उन्होंने आरोप लगाया था कि अगले महीने सेवानिवृत्त हो रहे न्यायाधीश सेन सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और उनकी पत्नियों तथा बच्चों के लिए राज्य सरकार से कई प्रावधान चाहते हैं. इसमें गेस्ट हाउस, घरेलू सहायता, मोबाइल और इंटरनेट का खर्च शामिल है.

उत्तर-पूर्व के मुख्य समाचार पत्र शिलांग टाइम्स का प्रकाशन साल 1945 से हो रहा है. अखबार के संपादक पैट्रिसिया मुखिम और प्रकाशक शोभा चौधरी हैं.

इससे पहले शिलांग टाइम्स की संपादक पैटरीसिया मुखिम और प्रकाशक शोभा चौधरी निजी तौर पर न्यायमूर्ति एसआर सेन के समक्ष पेश हो चुके थे. आलेख के लिए दोनों माफी मांग चुके हैं. बावजूद इसके उन्हें मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद याकूब मीर के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था.

कोर्ट ने मुखिम की ओर से लिखे गए सोशल मीडिया पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर देश की न्यायिक व्यवस्था का माखौल उड़ाया.

जस्टिस सेन दिसंबर 2018 को एक आदेश में कहा था, “भारत को दूसरा इस्लामिक देश बनाने के लिए किसी को भी प्रयास नहीं करना चाहिए, नहीं तो यह भारत और विश्व के लिए प्रलय का दिन होगा.” आलोचना के बाद उन्होंने अगले ही दिन कहा था कि उनका फैसला राजनीति से प्रेरित नहीं है और उसे गलत तरीके से लिया गया है.


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