नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में मतदान करेगी शिवसेना
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 8 जनवरी को लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा में पारित कराने की डगर बीजेपी के लिए लगातार कठिन होती दिखाई दे रही है.
लुका–छुपी के रिश्ते रखने वाली बीजेपी और शिवसेना पार्टी के नेताओं ने अब खुल कर एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरु कर दी है. बुधवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक हिंदी अखबार के इंटरव्यू में कहा कि यदि बीजेपी राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल लाती है तो शिवसेना उसके खिलाफ वोट करेगी.
नागरिकता संशोधन बिल पर लगातार बाहरी विरोध झेल रही एनडीए सरकार के भीतर भी विरोध के स्वर तेज़ हो गए है. बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार पिछले महीने ही इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि राज्य सभा में उनकी पार्टी विधेयक के खिलाफ वोट करेगी. वहीं बुधवार को बीजेपी के दूसरे घटक दल शिवसेना ने भी संजय राउत के माध्यम से नागरिकता संशोधन बिल को लेकर रुख साफ कर दिया है.
नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करते हुए संजय राउत ने कहा कि यह एक राजनीतिक विधेयक है, जिससे बीजेपी सिर्फ अपने चुनावी हितों को साधना चाहती है. महाराष्ट्र में भले ही उनकी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में क्यों न हो, लेकिन शिवसेना कहीं से भी इस बिल का समर्थन करने के लिए बाध्य नहीं है.
राउत ने कहा, “हर क्षेत्र की अपनी एक पहचान है. यही कारण है कि हिंदुस्तान में राज्यों का निर्माण भाषाई आधार पर हुआ है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों को लगता है कि विधेयक (यदि यह कानून बन जाता है) क्षेत्र के जनसांख्यिकीय (Demographic) चरित्र के साथ-साथ सांस्कृतिक, सामाजिक एवं भाषाई पहचान को भी बदल देगा.
जल्द ही पूर्वोत्तर के युवा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने वाला है. ऐसे में राउत के इस बयान ने नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना का स्टैंड लगभग साफ कर दिया है.
अब तक, राज्यसभा के कुल 245 सदस्यों में से कम से कम 114 सदस्यों (एक रिक्ति के साथ) और कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तेलुगु देशम और राजद जैसे 15 विपक्षी दलों ने इस बिल के खिलाफ वोट करने की बात कही है. वहीं जद (यू) के 6 , शिवसेना के 3 और नागा पीपुल्स फ्रंट के 1 सांसद का भी बिल के विरोध में जाने के फैसले को जोड़ कर देखें तो राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में लगभग 124 मतदान आ सकते हैं.
ऐसे में भाजपा अपने शेष 6 सहयोगियों, 6 निर्दलीय और 4 नामित सांसदों के साथ मात्र 89 वोट ही जुटा सकती है. नागरिकता संशोधन बिल पास करा कर अपनी राजनीति को और बुलंद करने का सपना देख रही बीजेपी ऐसा तब ही संभव करा पाएगी यदि वो एआईएडीएमके के 13, बीजेडी के 9, टीआरएस के 6 वाईएसआर के 6 और आईएनएलडी के 1 वोट को जुटा पाए.