शार्ट सर्विस कमीशन के रिटायर्ड अधिकारियों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं
केंद्र सरकार ने सेना की शार्ट सर्विस कमीशन से रिटायर्ड अधिकारियों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देने से इनकार कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने लिखित तौर पर यह घोषणा की है. मंत्रालय ने साफ कहा है कि बजट की कमी की वजह से वो शार्ट सर्विस कमीशन से रिटायर्ड हुए अधिकारियों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दे सकती.
शार्ट सर्विस कमीशन के अधिकारी 14 साल के सीमित कार्यकाल के दौरान सेना को अपनी सेवाएं देते हैं. इस तरह से वो सेना में अधिकारियों की कमी की भरपाई करते हैं. ऐसे में अगर इस तरह की सेवाएं देने वालों को आकर्षित करना है तो उन्हें अतिरिक्त सेवाएं देना जरूरी होता है. कैरियर की स्थिरता के बगैर योग्य व्यक्तियों को ऐसी सेवाएं देने के लिए आकर्षित करना आसान नहीं होगा.
इससे पूर्व की यूपीए सरकार ने 2009 में घोषणा की थी कि वह अल्प-समय के लिए सेवाएं देने वाले सभी अधिकारियों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगी. यूपीए ने ये सेवाएं कर्मचारी योगदान स्वास्थ्य सेवा योजना (ईसीएचएस) के अंतर्गत देने की बात कही थी. लेकिन वर्तमान सरकार इस वादे से पीछे हट रही है.
इकनॉमिक टाइम्स ने पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के एक पत्र के माध्यम से दावा किया है कि सरकार इन अधिकारियों की सहायता की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. 14 नवंबर की तारीख में लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि शार्ट सर्विस के अधिकारी पेंशनर नहीं हैं. इसलिए ये पेंशन के अधिकार नहीं रखते. सरकार ने ये भी कहा है कि अगर वह ऐसा करती है तो दूसरे विभाग के पेंशन ना पाने वाले लोग भी पेंशन की मांग करेंगे.
सरकार ने दो टूक कह दिया कि वह इन अधिकारियों को स्वास्थ्य लाभ देकर पहले से संसाधनों की कमी झेल रही व्यवस्था पर और भार नहीं डालना चाहती.