भारत में अधिकांश परिवार सिंगल मदर्स की देख-रेख में: UN


Single mother households in India at 1.3 crore says report

  UN Women

भारत में अनुमानित 4.5 फीसदी परिवारों को चलाने की जिम्मेदारी सिंगल मदर्स की होती है. यह आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की ‘प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड्स वूमेन 2019-2020’ रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट रेखांकित करती है कि देश में बड़े पैमाने पर सिंगल मदर्स परिवारों को चला रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वर्तमान में इन सिंगल मदर्स की संख्या 1.3 करोड़ के आस-पास है.

रिपोर्ट में इस बात का विश्लेषण किया गया है कि किस प्रकार विविध पारिवारिक संरचनाएं महिलाओं को प्रभावित कर रहीं हैं. रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में 46.7 फीसदी परिवारों में माता-पिता अपने बच्चों के साथ रहते हैं जबकि 31 फीसदी से अधिक संयुक्त परिवारों में रहते हैं. इसके अलावा 12.5 फीसदी परिवारों की जिम्मेदारी अकेले व्यक्ति पर होती है.

रिपोर्ट बताती है कि भारत में संयुक्त परिवारों का अनुमानित आंकड़ा 3.2 करोड़ है. वैश्विक स्तर पर प्रति 10 में से 8 सिंगल पैरेंट्स परिवारों को औरतें चलाती हैं. इसके अलावा लगभग 10.13 करोड़ परिवार ऐसे हैं जहां सिंगल मदर्स अपने बच्चों के साथ रहती हैं.

इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 2009-10 के भारत के रोजगार सर्वेक्षण को आधार बनाया गया है. परिवारों की संरचना और आकार से जुड़े आंकड़ों के लिए इस रोजगार सर्वेक्षण का मिलान वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रोस्पेक्ट 2017 के आंकड़ों से किया गया है. रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि सिंगल मदर्स वाले जिन परिवारों में छह साल या उससे कम उम्र के बच्चे हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक गरीब हैं. इसी तरह भारत में मां-बाप (22.6 फीसदी) वाले परिवारों की तुलना में केवल मां वाले परिवारों की गरीबी दर 38 फीसदी है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “शादी और मां बनना महिलाओं की काम में हिस्सेदारी और आय को प्रभावित करता है. अगर साल 2012 के आंकड़ों को आधार बनाएं तो 25-54 आयु वर्ग की केवल 29.1 फीसदी महिलाएं कार्य बल का हिस्सा हैं जबकि इसी आयु वर्ग में 97.8 फीसदी कार्य बल का हिस्सा हैं.”

संयुक्त राष्ट्र महिला की उप निदेशक अनिता भाटिया ने कहा, “सभी देशों और क्षेत्रों में औसतन महिलाएं पुरुषों की तुलना में लंबे समय तक जीवित रहती हैं. साल 2015-20 के दौरान वैश्विक स्तर पर पुरुषों की जीवन प्रत्याशा दर महिलाओं की तुलना में 4.6 वर्ष कम होने का अनुमान है. रिपोर्ट में वृद्ध महिलाओं पर ध्यान देने की जरुरत की ओर इशारा किया है.”


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