कश्मीर से लौटे कार्यकर्ताओं ने घाटी के हालात का वीडियो जारी किया


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कश्मीर का पांच दिवसीय दौरा करके लौटे कार्यकर्ताओं के एक समूह ने दावा किया कि घाटी में हालात ‘सामान्य नहीं’ हैं.

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और कार्यकर्ताओं मैमूना मोल्ला, कविता कृष्णन और विमल भाई ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद जमीनी हालात जानने के लिए 9 से 13 अगस्त के बीच कश्मीर के कई इलाकों का दौरा किया.

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में यात्रा की रिपोर्ट जारी करते हुए आरोप लगाया कि कश्मीर के “वास्तविक हालात” बताए जा रहे हालात से “काफी अलग” हैं.

एक सरकारी प्रवक्ता से जब चारों कार्यकर्ताओं के दावों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी नहीं की.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक मुनीर खान ने श्रीनगर में कहा कि शहर के कई हिस्सों और घाटी के अन्य जिलों में स्थानीय स्तर पर कुछ घटनाएं हुईं और उनसे स्थानीय स्तर पर ही निपट लिया गया.

‘नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट’ के विमल के अनुसार स्थिति कुछ भी हो लेकिन सामान्य नहीं है.

विमल ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, “कश्मीरी निवासियों को वास्तव में उनके घरों में कैद किया गया है और सभी संचार सेवाएं बंद हैं. सड़के धूलभरी हैं.”

ज्यां द्रेज ने कहा कि लोगों पर नजर रखने के लिए भारी संख्या में सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. उनपर लगातार नजर रखी जा रही है और वह समूह में घूम नहीं पा रहे हैं.

द्रेज ने कहा कि “सद्भावना टीम” श्रीनगर, पम्पोर, पुलवामा, बिजबेहरा और बांदीपुरा समेत कई शहरों दौरा कर लोगों से मुखातिब हुई.

कार्यकर्ता विमल ने आरोप लगाया कि टीम ने श्रीनगर में एक अस्पताल का दौरा किया और “पैलेट गन से घायल हुए” कुछ लड़कों से मुलाकात की.

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन्स एसोसिएशन की मैमूना मोल्ला ने कहा कि घाटी के लोग निर्णय लेने की प्रक्रिया में खुद को शामिल नहीं किये जाने से नाराज हैं.”

सद्भावना टीम ने अपने दौरे को लेकर छोटे-छोटे वीडियो भी बनाए हैं जिन्हें संवाददाता सम्मेलन के दौरान दिखाया जाना था, लेकिन कार्यकर्ताओं का दावा है कि प्रेस क्लब ने उन्हें बताया कि “कुछ मुद्दों” के चलते इन्हें उसके परिसर में नहीं दिखाया जा सकता.


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