हर जिले में पोक्सो कोर्ट की स्थापना करे केंद्र सरकार: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह हर जिले में पोक्सो कोर्ट की स्थापना करे. कोर्ट ने कहा कि इनकी स्थापना विशेषकर ऐसे जिलों में की जानी चाहिए जहां पोक्सो अधिनियम के तहत 100 से भी अधिक मामले लंबित हैं.
कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट को यह कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों पर हुए यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई 60 दिनों के अंदर हो जाए.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से चार हफ्तों के भीतर इस पर प्रोगेस रिपोर्ट की भी मांग की है.
कोर्ट का यह फैसला राज्यसभा में 24 जुलाई को पारित हुए पोक्सो संशोधन विधेयक के बाद आया है. इसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को परिभाषित करते हुए बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में मृत्यु दंड का भी प्रावधान किया गया है.
उच्च सदन में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध और बलात्कार के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए केन्द्र सरकार ने 1023 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करने को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि अभी तक 18 राज्यों ने ऐसी अदालतों की स्थापना के लिए सहमति जताई है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.
इससे पहले ईरानी ने कहा कि 1023 विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के लिए कुल 767 करोड़ रूपये का खर्च किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसमें से केन्द्र 474 करोड़ रूपये का योगदान देगा.
ईरानी ने कहा कि सरकार अपनी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से इस बात को प्रोत्साहन दे रही है कि बच्चे अपने विरूद्ध होने वाले यौन अपराधों के बारे में निडर होकर शिकायत कर सकें और इसके बारे में अपने अभिभावकों को बता सकें. उन्होंने कहा कि प्राय: देखने में आता है कि बच्चियों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों की शिकायत तो की जाती है लेकिन लड़कों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में शिकायत नहीं की जाती.
उन्होंने इस विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन और उनके साथ 12 वर्ष की आयु में हुए यौन अपराध की एक घटना का जिक्र किया. ईरानी ने उदाहरण देते हुए कहा कि इस बात को उन्होंने अब 58 वर्ष की आयु में सार्वजनिक तौर पर कहा है. उन्होंने कहा कि समाज में अब पुरुषों को भी इस तरह की घटनाओं का उल्लेख करने में संकोच नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को परिभाषित किया गया है ताकि ऐसे अपराधों को रोकने में मदद मिल सके.
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने कहा कि मौजूदा विधेयक में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा तथा ‘‘दुर्लभतम मामलों’’ में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.
ईरानी ने कहा कि उन्होंने बच्चों के खिलाफ अपराध के लंबित मामलों में उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार के साथ बैठक की थी. बैठक में सभी राज्यों को इसके तहत सीनियर नोडल पुलिस अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया था. सभी राज्यों में ऐसे अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि मूल कानून के अनुसार, बाल यौन अपराधों की प्राथमिकी दर्ज होने के दो माह के भीतर जांच पूरी करने और एक वर्ष के भीतर मुकदमा पूरा करने का प्रावधान है.
स्मृति ईरानी ने कहा कि सरकार ने यौन अपराधों का एक राष्ट्रीय डाटा बेस तैयार किया है. ऐसे 6,20,000 अपराधी हैं. यदि कोई ऐसे व्यक्तियों को रोजगार पर रखता है तो संबंधित व्यक्ति के बारे में इससे जानकारी लेने में मदद मिलेगी.