प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- लोगों को मरने के लिए छोड़ा
दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने में विफल रहने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल है, लेकिन यह ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि वे गरीबों को लेकर चिंतित नहीं हैं और उन्हें मरने के लिए छोड़ रहे हैं.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सवाल किया, ‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे. क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’
पीठ ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिया कि वे अपने यहां पराली नहीं जलाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को आज से सात दिन के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल का वित्तीय सहयोग दें.
पीठ ने कहा, ‘हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.’ पीठ ने सवाल किया, ‘सरकारी मशीनरी पराली जलाए जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’
न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
पीठ ने कहा, ‘आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं. आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.’
शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार किसानों से पराली एकत्र करके उसे खरीद नहीं सकती?
पीठ ने कहा, ‘हम पराली जलाने और प्रदूषण पर नियंत्रण के मामले में देश की लोकतांत्रिक सरकार से और अधिक अपेक्षा करते हैं. यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है. हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.
पीठ ने केन्द्र, पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली सरकारों को निर्देश दिया कि वे पर्यावरण संबंधी मुद्दों का ध्यान रखने के लिये तीन महीने के भीतर विस्तृत योजना तैयार करें.
पीठ ने कहा, ‘कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह सरकार का कर्तव्य है कि वह किसानों के हितों की देखभाल करे.’
पीठ ने कहा कि यह बहुत आवश्यक है कि पराली को जलाने से रोकने के लिये किसानों को मशीनें उपलब्ध करायी जायें.
पीठ ने कहा, ‘यह शर्मनाक स्थिति है कि देश की राष्ट्रीय राजधानी में कच्चे रास्ते और सड़कों पर गड्ढे हैं.’
दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण में किसानों द्वारा पराली जलाये जाने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को न्यायालय में छह नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया था.