सबरीमला: सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा


supreme court reserved verdict on sabrimala mandir

 

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में महिला प्रवेश पर दायर पुनर्विचार याचिकों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट 28 सितंबर 2018 के संविधान पीठ के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटाने का निर्देश दिया था.

अदालत इस मामले में पुनर्विचार याचिकों पर अपना आदेश बाद में सुनाएगा.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इन्दु मल्होत्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के 28 सितंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर आदेश बाद में सुनाया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रवेश पर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर केरल सरकार, नायर सर्विस सोसायटी, त्रावणकोण देवस्वओम बोर्ड और अन्य पक्षकारों को सुना. इस मामले में कुल 64 याचिकाएं कोर्ट के समक्ष थीं.

पीठ ने अंत में कहा कि 28 सितंबर, 2018 के निर्णय पर पुनर्विचार करने या नहीं करने के बारे में वह अपना आदेश बाद में सुनाएगी.

इस बीच सबरीमला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने कोर्ट में अपना रुख बदलते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया है. देवस्वओम बोर्ड ने कहा कि वह मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के कोर्ट के फैसले का समर्थन करता है.

सबरीमला में परंपराओं के मुताबिक रजस्वला उम्र की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.


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