अयोध्या जमीन विवाद में मध्यस्थता पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा


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अयोध्या मामले में मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षकारों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा है. सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान आज सभी पक्षकारों ने कोर्ट को बताया कि वो इस मामले में मध्यस्थता चाहते हैं या नहीं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने पक्षकारों की दलीलें सुनीं.  संविधान पीठ के दूसरे सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे,धनन्जय वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

सुनवाई के दौरान जहां मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार दिखा, वहीं हिंदू महासभा और रामलला पक्ष ने इस पर सवाल उठाए. हिंदू महासभा ने कहा कि जनता मध्यस्थता के फैसले को नहीं मानेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि दोनों पक्षकार बातचीत का रास्ता निकालने पर विचार करें. “अगर एक फीसदी भी बातचीत की संभावना हो तो उसके लिए कोशिश होनी चाहिए.”

शीर्ष अदालत में अयोध्या प्रकरण में चार दिवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपील लंबित हैं.


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