राफेल मामला: पहले केन्द्र की आपत्तियों पर फैसला करेगा कोर्ट


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राफेल सौदे के तथ्यों पर गौर करने से पहले वह केन्द्र सरकार द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करेगा.

पीठ ने कहा, ‘‘केन्द्र द्वारा उठाई गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम मामले के तथ्यों पर गौर करेंगे.’’

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया. उन्होंने कोर्ट से कहा कि संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर कोई भी इन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता.

इस पर प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा, “राफेल के जिन दस्तावेजों पर अटॉर्नी जनरल विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं, वे प्रकाशित हो चुके हैं. और सार्वजनिक दायरे में हैं. राफेल के अलावा ऐसा कोई दूसरा रक्षा सौदा नहीं है जिसमे कैग की रिपोर्ट में कीमतों के विवरण को संपादित किया गया. राफेल सौदे में सरकारों के बीच कोई करार नहीं है. क्योंकि इसमें फ्रांस ने कोई संप्रभू गारंटी नहीं दी है.”

भूषण ने बताया सूचना के अधिकार कानून के मुताबिक जनहित सर्वोपरि है. दस्तावेजों पर किसी प्रकार के विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता. भारतीय प्रेस परिषद कानून में पत्रकारों के स्रोत को संरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा, पहले वह लीक हुए दस्तावेजों की स्वीकार्यता के आपत्तियों पर ध्यान दें. केन्द्र की आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम राफेल लड़ाकू विमान सौदे गौर करेंगे.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ राफेल विमान सौदे के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

ये पुनर्विचार याचिका पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दायर की हैं.


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