पॉक्सो कानून के तहत 300 से अधिक लंबित मामलों वाले जिलों में दो स्पेशल कोर्ट: SC


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को उन जिलों में दो विशेष अदालतें गठित करनी होंगी, जहां ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण’ (पॉक्सो) कानून के तहत लंबित मामलों की संख्या 300 से अधिक हैं.

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने स्पष्ट किया कि पॉक्सो कानून के तहत 100 से अधिक प्राथमिकियों वाले प्रत्येक जिले में एक अदालत गठित करने का सुप्रीम कोर्ट के पहले के एक निर्देश का यह मतलब है कि वहां कानून के तहत केवल ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक विशेष अदालत होनी चाहिए.

पीठ ने कहा, ”हमने स्पष्ट किया है कि पॉक्सो के मामलों का विशेष पॉक्सो अदालतों को निपटारा करना चाहिए, जो अन्य मामलों पर सुनवाई नहीं करेगी. जहां 100 से अधिक मामले हैं वहां एक विशेष पॉक्सो अदालत होगी. अगर 300 या उससे अधिक मामले हैं तो उस जिले में दो विशेष पोक्सो अदालतें होंगी.”

इसी साल 1 अगस्त को संसद ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 (Amendments in the Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) को मंजूरी दी थी. यह कानून यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 में संशोधन करता है. यह कानून यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से बच्चों के संरक्षण का प्रयास करता है. इस कानून का उद्देश्य बाल यौन शोषण के बढ़ते मामलों की जाँच कर उचित एवं कड़ी सजा की व्यवस्था करना है.


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