सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी को लगाई फटकार


 

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी है. हालांकि न्यायालय ने अदालत की ओर से गठित समिति पर ओछा आरोप लगाने के लिए तिवारी की आलोचना करते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि वह ‘‘कितना नीचे जा सकते हैं.’’

तिवारी ने सितंबर में एक परिसर से नगर निकाय की सील तोड़ दी थी.

जज मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत उनके आचरण की वजह से ‘काफी दुखी’ है क्योंकि वो एक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. उन्होंने कानून अपने हाथ में लेने के लिए उनके कृत्य की निंदा की.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, ‘‘गलत राजनीतिक प्रचार के लिए कोई जगह नहीं है और इस तरह के आचरण की निंदा की जानी चाहिए.’’

सुप्रीम कोर्ट ने 19 सितंबर को दिल्ली बीजेपी प्रमुख और पूर्वोत्तर दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था. न्यायालय ने निगरानी समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद यह नोटिस जारी किया था. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि बीजेपी नेता ने परिसर की सील को तोड़ा.

तिवारी के खिलाफ ईडीएमसी ने पूर्वोत्तर दिल्ली के गोकलपुरी इलाके में कथित तौर पर एक परिसर की सील तोड़ने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

न्यायालय ने 30 अक्टूबर को मामले में दलीलों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. उस दौरान तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित निगरानी समिति पर ‘दिल्ली के लोगों को आतंकित करने’ का आरोप लगाया था.

समिति ने हालांकि दावा किया था कि वो न्यायालय को ‘राजनीतिक रणभूमि’ बनाने का प्रयास कर रहे हैं.


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