सिर्फ नौकरशाहों को ही ना बनाएं सूचना आयुक्त: सुप्रीम कोर्ट


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सूचना आयुक्त के पद पर प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा अन्य लोगों को भी नियुक्त किया जा सकता है. कोर्ट ने छह महीने के भीतर राज्य सूचना आयोग के सभी पदों को भरने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने नई भर्ती के लिए पात्रता संबंधी आदेश जारी करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही राज्य सूचना आयोग में सदस्यों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर अपने फैसले में कहा कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को समान दर्जा मिला हुआ है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मुख्य सूचना आयुक्त का पद एक उच्च पद है और इसके लिए नियुक्ति प्रक्रिया मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया जैसी ही होनी चाहिए.

जस्टिस एके सीकरी और अब्दुल नज़ीर ने कहा कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रशासनिक अधिकारियों यानी ब्यूरोक्रेट्स या कुछ चुने हुए प्रोफेशनल तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह बात सही है कि आईएएस की परीक्षा पास करके और 30-35 साल तक सरकार की सेवा करने के बाद उनमें से काफी लोग बेहद काबिल होते होंगे. लेकिन किसी और क्षेत्र से जैसे एकेडमिक, पत्रकारिता, वकालत या विज्ञान के क्षेत्र से किसी को क्यों नहीं चुना जाता.”

सरकार की ओर से कहा गया है कि सूचना आयुक्त के लिए शॉर्टलिस्ट उम्मीदवारों और नियुक्ति की प्रक्रिया को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. हालांकि कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि अबतक सूचना आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता रखी गई है.

सूचना आयोग में नियुक्ति को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है. आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने यह पीआईएल दाखिल की थी.


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