गूगल, फेसबुक पर ऑनलाइन विज्ञापन से सरकार की कर आमदनी में बड़ा उछाल


tax collection to govt from online ads on google and facebook has increased

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गूगल और फेसबुक जैसे डिजिटल एडवरटाइजिंग प्लेटफॉर्म पर भारतीय कंपनियों द्वारा दिए गए विज्ञापनों से भारत सरकार को प्राप्त होने वाले कर में 59 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

लाइव मिंट को मामले की जानकारी रखने वाले एक कर अधिकारी ने बताया कि इससे कर विभाग ने बीते वित्त वर्ष में 939 करोड़ रुपये जुटाए. जबकि इससे पिछले वर्ष 590 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे.

इसका मतलब ये हुआ कि बीते वित्त वर्ष में भारतीय कंपनियों ने फेसबुक और गूगल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को विज्ञापन प्रकाशित करने लिए कम से कम 15,650 करोड़ रुपये दिए. इससे पिछले वर्ष करीबन 9,800 करोड़ रुपये भारतीय कंपनियों ने विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए खर्च किए थे.

दरअसल जून 2016 में लागू इक्वलाइजेशन लेवी के तहत देश के कारोबारियों/कंपनियों द्वारा विदेशी ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडरों, जिनमें कि ट्विटर, फेसबुक, गूगल और याहू जैसी कंपनियां शामिल हैं, आदि को दिए ऑनलाइन विज्ञापन के लिए भुगतान की गई राशि पर 6% इक्वलाइजेशन लेवी वसूला जाता है.

हालांकि यह केवल तभी चुकाना होगा जब पेमेंट की राशि पूरे वित्तीय वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक हो. ये लेवी पूरी तरह से बिजनस टु बिजनस (B2B) ट्रांन्जैक्शन्स पर ही लागू होता है.

ऐसे में अगर कंपनी ने विदेशी प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन के लिए एक लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं तो अपतटीय डिजिटल निगम के तहत विज्ञापनकर्ता को स्रोत पर लगे कर को घटा कर इसे भारत सरकार के पास जमा करना होता है. ऐसे में संभव है कि कर संग्रह के आंकड़ों से इतर भारतीय कंपनियों की ओर से किया गया मूल खर्च इससे अधिक हो.

इंटरनेट के बढ़ते उपभोग और स्मार्टफोन की मौजूदगी से भी डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारी उछाल आया है. जिसके बाद घरेलू और विदेशी व्यापार की सीमाएं बढ़ी हैं.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रसारण मंत्रालय और मैकिंज़ी एंड कंपनी ने फरवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा था कि 2025 तक भारत एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था खड़ी कर सकता है. फिलहाल ये 200 बिलियन डॉलर की है.

इन तेजी से बढ़ते आंकड़ों के मद्देनजर सरकार विदेश स्थित डिजिटल कंपनियों के भारत में उपभोक्ताओं को देखते हुए नई कर व्यवस्था पर काम कर रही है.

2018-19 बजट में ग्राहक या राजस्व प्राप्ति के आधार पर भारत में अहम आर्थिक उपस्थिति वाली कंपनियों के व्यापार पर कर लगाने के लिए नई व्यवस्था लाने का एलान किया गया था. न्यू सर्विस डिलीवरी मॉडल के तहत कर कानूनों को बेहतर बनाने के तहत ये कदम उठाए जा रहे हैं.


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