कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को मोदी-शी बैनर लगाने की अनुमति दी


The court allowed the Tamil Nadu government to place the Modi-Xi banner

 

मद्रास हाई कोर्ट ने अगले सप्ताह यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली अनौपचारिक बैठक के लिए तमिलनाडु और केंद्र सरकार को दोनों नेताओं के स्वागत में बैनर लगाने की अनुमति दे दी है.

कोर्ट ने कहा कि दोनों गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत में बैनर लगाए जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है.

कोर्ट ने इससे पहले एक महिला इंजीनियर की मौत के बाद सड़क किनारे बैनर लगाने पर प्रतिबंध लगाया था और उसके आदेशों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं करने पर सरकार की खिंचाई की थी.

जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस एन सेशासयी की खंडपीठ ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि ऐसे बैनरों को लगाने के संदर्भ में राज्य को मौजूदा सभी नियमों का पालन करना होगा.

पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को इस तरह के बैनर लगाने की इजाजत नहीं होगी.

राज्य सरकार ने मल्लपुरम में होने वाली मोदी एवं शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले बैनर लगाने के लिए एक अक्टूबर को अदालत से इस संबंध में अनुमति देने का अनुरोध किया था. मल्लपुरम चेन्नई से 50 किलोमीटर दूर है जहां मोदी एवं जिनपिंग की 11-13 अक्टूबर को अनौपचारिक बैठक होने वाली है. दोनों नेताओं के बीच यह ऐसी दूसरी अनौपचारिक बैठक होगी.

नगर निगम प्रशासन के आयुक्त एवं अधिकारियों की ओर से दायर याचिका पर हालांकि कोर्ट ने समूचे राज्य में ऐसे ढांचे लगाने की अनुमति नहीं दी.

याचिकाकर्ता ने बताया था कि मोदी और जिनपिंग पर्यटन शहर में द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.

याचिकाकर्ता ने कहा कि आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों के स्वागत में बैनर लगाना विदेश मंत्रालय की परंपरा रही है.

उसने बताया कि राज्य एवं केंद्र सरकारों ने शीर्ष गणमान्य अतिथियों के स्वागत में निश्चित स्थानों पर बैनर लगाने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस प्रस्ताव पर उपयुक्त आदेश देने का अनुरोध किया था.

मक्कल निधि मैयम के संस्थापक कमल हासन ने सरकार के इस कदम पर दो अक्टूबर को प्रतिक्रिया देते हुए मोदी एवं शी जिनपिंग के स्वागत में बैनर लगाने के लिए कोर्ट से मंजूरी का अनुरोध करने से संबंधित इस कदम की आलोचना की थी.

अभिनेता से नेता बने हासन ने मोदी से ‘‘एक अगुवा के तौर पर कार्य करने’’ तथा ‘‘बैनर संस्कृति’’ को खत्म करने की अपील की.

इससे पहले कोर्ट ने 23 वर्षीय इंजीनियर सुभाश्री की मौत के बाद अवैध होर्डिंग को लगाने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी.

अवैध होर्डिंग के खिलाफ सख्त रुख दिखाते हुए अदालत ने हैरानी जताई, ‘‘राज्य सरकार को सड़कों को खून से रंगने के लिए और कितने लीटर खून की जरूरत है.’’

27 सितंबर को हुई घटना के सिलसिले में पुलिस ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के स्थानीय स्तर के एक पदाधिकारी जयगोपाल को पकड़ा था और उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. वह करीब दो हफ्ते से गिरफ्तारी से बच रहा था.

अन्नाद्रमुक के पदाधिकारी द्वारा लगाई गई अवैध होर्डिंग के नीचे से गुजर रही लड़की पर यह होर्डिंग गिर गई थी जिससे वह सड़क पर गिर गई, तभी एक लॉरी ने उसे कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गई.

यह होर्डिंग जयगोपाल ने चेन्नई के पल्लीकरनई के पास एक हॉल में अपने बेटे की शादी के उपलक्ष्य में लगाया था और इसके लिए उसने नगर निगम अधिकारियों से अनुमति नहीं ली थी.

उसकी मौत के बाद आक्रोश भड़कने पर राजनीतिक दलों ने अपने-अपने संबंधित काडर को ऐसी होर्डिंग और बैनर नहीं लगाने का आदेश दिया था.

कोयंबटूर में 2017 में ऐसी ही एक घटना में एमजीआर के शताब्दी समारोह के लिए लगाई गई एक अवैध होर्डिंग से टकराकर 32 वर्षीय एक इंजीनियर रघुनाथ की मौत हो गई थी.


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