ये हैं जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक में हुए बदलाव


citizenship amendment bill also passed in rajyasabha

 

राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक पारित हो गया है. यह विधेयक राष्ट्रपति के आदेश, 1954 को आंशिक रूप से संशोधित कर जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है. हालांकि ये संशोधन इसी साल फरवरी में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए अध्यादेश के जरिए पहले ही लागू थे.

जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन विधेयक के तहत आरक्षण का लाभ अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक रह रहे लोगों को भी मिल सकेगा. अभी तक इस आरक्षण का लाभ वे लोग ही ले सकते थे जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक रहते थे. इस तरह विधेयक का सीधा लाभ जम्मू, सांबा और कठुआ के निवासियों को मिलेगा.

राष्ट्रपति के आदेश के जरिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 77वां संवैधानिक संशोधन, 1995 को लागू कर यह संविधान संशोधन किया है. इस संशोधन से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के रूप आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके साथ-साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने साल 2019 के 103वां संवैधानिक संशोधन को भी जम्मू-कश्मीर पर लागू किया है जिसके तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा.

हालांकि जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों ने इस संशोधन को असंवैधानिक कहा है. पार्टियों का आरोप है कि राष्ट्रपति के आदेश, 1954 में किसी भी तरह के संशोधन के लिए निर्वाचित सरकार की सहमति जरूरी होती है. चूंकि केंद्र सरकार ने नामित सरकार यानी राष्ट्रपति शासन के दौरान राष्ट्रपति आदेश में संशोधन की सहमति ली है, इसलिए यह धारा 370 का उल्लंघन है.

पार्टियों ने जोर देकर कहा है कि राष्ट्रपति राज्यपाल की सहमति नहीं ले सकता है क्योंकि राज्यपाल राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है.

अध्यादेश लाते समय केंद्र सरकार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक काउंसिल (एसएसी) ने संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की थी.


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