मुंबई हमले के मास्टरमाइंड का सुराग देने वाले को 50 लाख डॉलर
मुंबई हमले की साजिश में शामिल लोगों की जानकारी मुहैया कराने वाले को ट्रंप सरकार 50 लाख डॉलर ईनाम देगी. हमले के 10 साल पूरा होने पर अमेरिका ने यह घोषणा की है.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है, ‘‘यह पीड़ित परिवारों के लिए अपमान जैसा है कि घटना के 10 साल बीत जाने के बाद भी मुंबई हमले की योजना बनाने वालों को उनकी साजिश के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है.’’
इस खौफनाक हादसे में करीब 166 आम नागरिक मारे गए थे जिनमें छह अमेरिकी शामिल थे.
यह तीसरा मौका है जब अमेरिका की तरफ से इस तरह की घोषणा की गई है. इससे पहले अप्रैल 2012 में भी ईनाम देने की चर्चा हुई थी.
माइक पोम्पियो ने मुंबई आतंकवादी हमले को क्रूर बताते हुए पाकिस्तान के अलावा कई देशों से अपील किया है, “इस हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तय्यबा, उससे जुड़े संगठन और आतंकवादियों पर प्रतिबंध लागू करे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपने दायित्वों को निभाए.”
इस हमले से जुड़े कसाब को फांसी से बचाने वाले वकीलों का कहना है कि उन्हें महाराष्ट्र सरकार की तरफ से उनकी फीस का पैसा अब तक नहीं मिला है. उन्होनें यह भी कहा की वे इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई में जाएंगे. इस मामले पर राज्य सरकार का कहना है कि उन्होंने अब तक इससे जुड़ा कोई बिल जमा नहीं किया है.
मुंबई हाई कोर्ट के आदेश पर कसाब का बचाव पक्ष रखने के लिए महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा की तरफ से दो वकील फरहाना शाह और अमीन सोलकर को नियुक्त किया गया था.
इस हादसे के पीड़ित परिवारों ने सरकार पर मुआवजा देने में भेदभाव का आरोप लगाया है. घटना के दौरान गोकुलदास तेजपाल अस्पताल में मारे गए भगन शिंदे की पत्नी सुनंदा का कहना है कि , ‘‘शहीद पुलिसकर्मियों के परिजन को मुआवजा, घर और नौकरियों के अलावा पेट्रोल पंप दिया गया. लेकिन सरकार ने सरकारी अस्पतालों के शहीदों के परिवार को पेट्रोल पंप आवंटित नहीं किया.’’
वही 26 नवंबर, 2008 को वडी बंडर में हुए बम धमाके में घायल हुईं सबीरा खान (50) कहती है कि, ‘‘मैंने आर्थिक मदद के लिये प्रधानमंत्री समेत कई अधिकारियों को 200 से अधिक पत्र लिखे. लेकिन मुझे पर्याप्त मदद नहीं मिली.’’
धमाके में सबीरा एक पैर खो चुकी हैं और उनकी सुनने की क्षमता चली गई है.