जानिए, किन भारतीय शहरों में हैं सबसे धीमी सड़कें


the slowest roads in urban india

 

आर्थिक विकास का एक परिणाम ये रहा है कि इससे शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक की समस्या बहुत बढ़ी है. शायद ही ऐसा कोई दिन होता होगा जब विभिन्न शहरों में लाखों गाड़ियां जाम में ना फंसती हों. ये हर शहर की कहानी है. लेकिन कुछ शहर ऐसे हैं, जहां ट्रैफिक की समस्या दूसरे शहरों के मुकाबले ज्यादा विकराल है.

वेबसाइट मिंट ने भारत के छह बड़े महानगरों के करीब 300 मुख्य मार्गों का विश्लेषण करने के बाद पाया है कि ट्रैफिक के मामले में कोलकाता और मुंबई की सड़कें सबसे धीमी हैं, वहीं इसके विपरीत चेन्नई और हैदराबाद में कम जाम लगता है. इन चार बड़े महानगरों के साथ नई दिल्ली और बैंगलुरू को भी विश्लेषण में शामिल किया गया है.

हैदराबाद में 10 किलोमीटर की यात्रा तय करने में औसत तौर पर 26 मिनट का समय लगता है. दिल्ली और चेन्नई में इसके लिए 29 मिनट लगते हैं. वहीं बैंगलुरू, मुंबई और कोलकाता में क्रमश: 34, 37 और 39 मिनट लगते हैं. विश्व बैंक के अध्ययन के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में औसतन 24 मिनट लगते हैं. आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार लंदन और सिंगापोर में इसके लिए 21 मिनट लगते हैं.

विश्लेषण में पाया गया है कि इन शहरों में सुबह के वक्त (8 से 11 बजे के बीच) यात्रा, शाम के वक्त (5 बजे से 8 बजे के बीच) के मुकाबले ज्यादा तेज होती है. इन सभी शहरों में शाम के वक्त 10 किलोमीटर की यात्रा करने में सुबह के मुकाबले 6 मिनट अधिक लगते हैं.

इस विश्लेषण में सबसे धीमे मार्गों की अगर बात करें तो पहले स्थान पर कोलकाता का महात्मा गांधी मार्ग है. यहां एक घंटे में औसत तौर पर 7.7 किलोमीटर की दूरी तय होती है. इसके बाद मुंबई के सरदार वल्लभभाई रोड और कनकपुरा रोड का नंबर आता है. दोनों पर क्रमश: एक घंटे में औसतन 8.1 और 8.4 किलोमीटर की दूरी तय होती है.

इन छह शहरों की 20 सबसे धीमी सड़कों की अगर बात करें तो कोलकाता में इनकी संख्या 11 है. वहीं मुंबई में 6 और बेंगलुरू में 3 ऐसी सड़कें हैं.

सबसे तेज मार्गों की अगर बात करें तो हैदराबाद का ऑउटर रिंग रोड पहले स्थान पर है. इस मार्ग पर औसत स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसके बाद 52.7 किलोमीटर प्रति घंटा के साथ नोएडा- ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे का नंबर आता है. तीसरे नंबर पर चेन्नई का ऑउटर रिंग रोड है. यहां औसत रफ्तार 48.5 किलोमीटर प्रति घंटा है.

विश्लेषण में पाया गया है कि सबसे तेज 10 मार्गों में से 8 में टोल लिया जाता है. टोल की वजह से ट्रैफिक नियंत्रण में रहता है और इससे गति बढ़ने में सहायता मिलती है.


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