फंड में देरी से ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ के बड़े प्रोजेक्ट पर संकट


Three 'Institute of Imminence' institutions express concern over slow pace of fund release

 

आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू ने ‘ इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस(आईओई) योजना के तहत फंड जारी करने की धीमी रफ्तार पर चिंता जाहिर की है. केन्द्र सरकार की ओर से टुकड़ों में रकम जारी करने की वजह से बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करना मुश्किल हो गया है.

26 सितंबर को इन तीनों संस्थाओं ने विशेषज्ञों की एक अधिकृत कमिटी को दिए प्रेजेंटेशन में आईओई के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से अपर्याप्त और फंड जारी करने में देरी पर चिंता जाहिर की थी.

केन्द्र सरकार ने जुलाई 2018 को एमिनेंस यानी विशिष्ट  घोषित संस्थाओं को पांच साल में 1,000 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की थी.

जुलाई 2018 के बाद से आईआईटी दिल्ली को प्रोजेक्ट के लिए करीब 200 करोड़ रुपये की मांग के बदले 93 करोड़ रुपये जारी किए गए. वहीं आईआईएससी ने पहले साल विभिन्न प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए  167 करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन सरकार की ओर से संस्था को केवल 78 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. वहीं आईआईटी बॉम्बे को योजना की घोषणा के बाद से केवल 43 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. मई में संस्था की ओर से अतिरिक्त फंड की मांग की गई थी जिसे अबतक पूरा नहीं किया गया है.

ईईसी एन गोपालनस्वामी ने मामले में कहा कि पहले से जारी फंड खर्च नहीं हो पाया है. ईईसी को संस्थाओं को आईओई का दर्जा देने के लिए सिफारिश और प्रगति की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है.

संडे एक्सप्रेस ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा है कि अगला फंड जारी करने के लिए पिछले फंड का 80 फीसदी खर्च होना जरूरी है.

अखबार के मुताबिक 30 सितंबर  तक आईआईटी दिल्ली (73.54 करोड़ रुपये), आईआईटी बॉम्बे (42.97 करोड़ रुपये) और आईआईएससी के लिए जारी फंड में से 56.53 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाया है.

संस्थान से जुड़े लोगों का मानना है कि बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बड़े फंड की जरूरत है जिसे टुकड़ों में दिए जा रहे फंड से पूरा करना मुश्किल है.

आईओई योजना के तहत देश के 10 सरकारी और 10 प्राइवेट संस्थाओं को विश्व स्तर का  बनाने का लक्ष्य है.


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