EWS के दस फीसदी आरक्षण में आर्थिक मदद नहीं करेगी सरकार


to implement ews quota central universities need 5,600

 

चुनावी साल में सरकारी घोषणाओं का अंबार लगने की घटनाएं तो पहले भी होती रही हैं. लेकिन वर्तमान सरकार स्थापित मानकों से काफी आगे जाती हुई नजर आ रही है. फिलहाल हम यहां इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लयूएस) को सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की पड़ताल करेंगे.

इस सरकारी घोषणा को अमल में लाने के लिए केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त सभी संस्थान जैसे आईआईटी, आईआईएम और सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अगले सत्र से सम्मिलित रूप से करीब 1.2 लाख नई सीटें जोड़नी होंगी. ये सीटें आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को दाखिला देने के लिए बनाई जानी हैं.

आगामी जुलाई से शुरू होने जा रहे नए सत्र के अलावा अगले साल भी करीब 95 हजार सीटें नए सिरे से जोड़नी होंगी. इस दौरान करीब 5,600 करोड़ का अतिरिक्त खर्च आने की संभावना है.

इस पूरी योजना में सबसे बड़ा पेंच ये है कि ये पैसा इन संस्थानों को अपने राजस्व बचत से ही खर्च करना होगा. केंद्र सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगी.

अनुमानित खर्च में से करीब 3,830 करोड़ रुपये नए भवनों के निर्माण कार्य में खर्च होंगे. जबकि 723 करोड़ रुपये नए शिक्षकों को वेतन देने में खर्च होंगे और बाकी का हिस्सा फेलोशिप जैसे कामों में खर्च होगा.

इनमें सबसे ज्यादा हिस्सा केंद्रीय विश्वविद्यालयों का है. ये 2,682 करोड़ के करीब होगा. इसके बाद आईआईटी का नंबर आता है, जहां 1,094 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा एनआईटी का खर्च करीब एक हजार करोड़ होगा.

ये कुल खर्च सरकार के अनुमान से कहीं ज्यादा है. सरकारी अनुमान के मुताबिक इस पूरे काम में 4,200 करोड़ रुपये का खर्च आने वाला है.

इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के इस कदम को कैबिनेट ने बीती सात जनवरी को अपनी हरी झंडी दिखा दी थी. इस दौरान जिस मसौदे को मंजूरी मिली है उसके मुताबिक 10 फीसदी ईडब्लयूएस कोटे को लागू करने में आने वाले किसी तरह के खर्च में कैबिनेट की जिम्मेदारी नहीं बनती.

इससे पहले कैबिनेट मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ये साफ कर दिया था कि पिछड़ो, दलितों और आदिवासियों के लिए पहले से मौजूद कोटे में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.

हालांकि हाल में ही पास अंतरिम बजट में करीब 4 हजार 600 करोड़ आर्थिक रूप से पिछड़े अनारक्षित वर्ग के लिए आवंटित किए गए हैं. लेकिन अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि क्षमता विस्तार में इसे किस तरह से खर्च किया जाएगा.


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