ईपीएफ घटाने के प्रस्ताव का श्रमिक संगठनों ने किया विरोध


trade unions rejects proposed EPF amendment

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सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में नियोक्‍ता और कर्मचारी दोनों की भागीदारी 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि सरकार को अपने इस कदम पर श्रमिक संगठनों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

मंगलवार को एक बैठक के दौरान श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. हालांकि इस दौरान अधिकतर श्रमिक संगठन मौजूद नहीं थे. बैठक में मंत्रालय ने कहा कि इससे कर्मचारियों के मूल वेतन में वृद्धि होगी.

श्रमिक संगठनों के नेताओं ने प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज किया और कहा कि इस प्रस्ताव से निजी क्षेत्र का मुनाफा बढ़ेगा.

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ईपीएफ और विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक पर तैयार प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठक का आयोजन किया, जिसमें श्रमिक संगठनों को बुलाया गया.

हालांकि बैठक में कांग्रेस के श्रमिक संगठन आईएनटीयूसी को आमंत्रित नहीं किया गया. वहीं करीबन दस श्रमिक संगठनों ने आईएनटीयूसी दरकिनार करने के विरोध में बैठक का बहिष्कार किया. साथ ही इन संगठनों ने प्रस्ताव के विरोध में नोटिस जारी किया.

आरएसएस का श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ बैठक में मौजूद था हालांकि उन्होंने भी प्रस्ताव का विरोध किया है.

श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, सरकार मौजूदा विधेयक के साथ आगे की कार्यवाही कर सकती है. लेकिन अगर विधेयक संसदीय समिति के पास समीक्षा के लिए जाता है तो सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

सीपीआई के श्रमिक संगठन एआईटीयूसी के सुकुमार दामले ने कहा, “कर्मचारियों का वेतन बढ़ने की सरकार की बात गलत है. कॉरपोरेट हाउस 24 फीसदी ईपीएफ को फिलहाल सीटीसी में ही शामिल करते हैं. प्रस्ताव के मुताबिक मूल वेतन पर 20 फीसदी ईपीएफ होगा जो सीटीसी में ही शामिल होगा. और फिर बचा हुआ चार फिसदी कंपनी की झोली में जाएगा.”

सैकड़ों भर्ती करने वाली कंपनियां लगातार सरकार से ईपीएफ एकाउंट में नियोक्ता की भागीदारी कम करने की मांग कर रही हैं.

भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा कि ईपीएफ में कटौती को मान्य नहीं ठहराया जा सकता.

उन्होंने कहा, “ईपीएफ की राशि कर्मचारियों के लिए बहुत जरूरी है जो उनके बुरे समय में काम आती है. उन्हें ज्यादा से ज्यादा पैसे बचाने की कोशिश करनी चाहिए. ये कदम गलत है और हम इसका विरोध करते हैं.”

बैठक में एक और विवादित प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि कर्मचारियों के पास ईपीएफ से एनपीएस पर जाने का विक्लप होगा. सरकार कर्मचारियों को अपने इस कदम पर सहमत करने की कोशिश कर रही है, जो सरकार को मौका देगा कि वो पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश कर सके.

दामले ने कहा, “एनपीएस एक जोखिम भरा निवेश है. जबकि ईपीएस फंड पर जोखिम नहीं लिया जा सकता ये सुरक्षित क्षेत्र में रहना चाहिए.”

उपाध्याय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि ईपीएस पर एनपीएस की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलता है.


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