ट्रंप प्रशासन ने रखा अमेरिकी एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव का प्रस्ताव


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ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा के लिए आवेदन संबंधी प्रक्रिया में बड़े बदलाव के लिए प्रस्ताव रखा है. बताया जा रहा है कि इसका मकसद अधिक कौशलयुक्त विदेशी श्रमिकों को अमेरिका आने की राह आसान करना है. पीटीआई के मुताबिक इस नये नियम में नौकरी देने वाली कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण कराना होगा. कंपनियों को यह पंजीकरण निर्धारित समय के दौरान अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा ( यूएससीआईएस) में करना होगा.

एच-1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है. ये अप्रवासी प्रकार का वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशों से पेशेवर भर्ती करने की सहूलियत देता है. अमेरिकी तकनीकी कंपनियां बड़े पैमाने पर भारत और चीन जैसे देशों से आईटी पेशेवरों को भर्ती करती हैं। यह पेशेवर ही इन कंपनियों की रीढ़ माने जाते हैं.

एच-1बी वीजा नियमों के अंतर्गत 65 हजार वीजा हर वित्तीय वर्ष जारी किये जा सकते हैं. इसके अलावा स्नातकोत्तर डिग्री के लिए आवेदन करने वाले पहले 20 हजार आवेदकों को इस सीमा से छूट प्राप्त है. नये नियम के मुताबिक यूएससीआईएस वीजा आवेदकों की संख्या और अधिकतम सीमा में परिवर्तन कर सकता है. अमेरिकी गृह रक्षा विभाग (डीएचएस) के मुताबिक इस नियम के लागू हो जाने के बाद अमेरिकी संस्थानों से डिग्री पाने वालों पेशेवरों की एच-1बी वीजा पाने की संभावना बढ़ जाएगी.

डीएचएस ने बताया कि प्रस्तावित नियम के लागू हो जाने के बाद एच-1बी वीजा पाने वालों की संख्या में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी. यह संख्या पांच हजार से अधिक होगी. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आवेदन करने की वजह से यह पहले से अधिक सुविधाजनक भी होगा. यह निमय यूएससीआईएस पर पड़ने वाले बोझ में भारी कमी लाएगा.
बीते साल अपनी अमेरिका प्रथम नीति के चलते ट्रंप प्रशासन ने डीएचएस को वीजा संबंधी नियमों में सुधार करने का आदेश दिया था. ट्रंप प्रशासन ने डीएचएस से कहा था कि वह यह सुनिश्चत करे कि अमेरिका में सिर्फ उच्च कौशल वाले पेशेवर ही नौकरी के लिए यह वीजा प्राप्त कर सकें.


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