ट्रंप जल्द कर सकते पाकिस्तानी नेताओं से मुलाकात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस प्रेस वार्ता के दौरान कहा है कि वो जल्द ही पाकिस्तानी नेताओं से मिल सकते हैं. पाकिस्तानी नेताओं से जल्द मुलाकात करने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के साथ वर्तमान में हमारे अच्छे रिश्ते हैं”.
ट्रंप का यह बयान एक पत्रकार के सवाल के जवाब में आया. जहां पत्रकार ने ट्रंप से भारत-पाकिस्तान के वर्तमान रिश्ते पर ट्रंप से टिप्पणी करने को कहा था. सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा, “मेरी समझ से अभी पाकिस्तान के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं”.
ट्रंप ने ये टिप्पणी ऐसे समय में की जब कुछ ही घंटे पहले वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि अमेरिका फिलहाल भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर चिंतित है. अधिकारी ने ये भी चिंता जताई थी कि अगर एक और आतंकवादी हमला हुआ तो दोनों देशों के लिए परेशानी बढ़ जाएगी. साथ ही इससे दोनों देशों के बीच तनाव भी गहराएगा.
इस दौरान कुछ रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि भारत-पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया है. और दोनों देशों ने अपने-अपने वायु सेना को हाई अलर्ट पर रखा है.
सामने आ रही अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने नियंत्रण रेखा के पास मिसाइल तैनात की है. साथ ही भारतीय वायु सेना ने सरकार से तत्काल रूप से और ज्यादा मिसाइल खरीदने को कहा है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जवाब में पाकिस्तान ने लड़ाकू विमान पूरे देश में तैनात कर दिए हैं. इस दौरान देश ने अपना रक्षा नेटवर्क हाई अलर्ट पर रखा है.
एक समाचार एजेंसी ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध के बाद परमाणु पनडुब्बियों, एक विमान वाहक युद्ध समूह और दूसरे कई नौसैनिक जहाजों को अरब सागर में तैनात किया गया है.
इस हफ्ते पाकिस्तन और चीन के बीच हुई गतिविधियों को वाशिंगटन के राजनयिक पाकिस्तान को चीन से मिल रहे मजबूत समर्थन से जोड़ कर देख रहे हैं.
इस हफ्ते बीजिंग में हुई पहली विदेश मंत्री स्तरीय रणनीतिक वार्ता के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि “चीन पाकिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता, गरिमा और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में मजबूती से समर्थन करेगा”.
वाशिंगटन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में चीन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का समर्थन किया था. लेकिन हमें अफसोस है कि बीते हफ्ते यूएन में बीजिंग ने अमेरिका के इस कदम का समर्थन नहीं किया.”