संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भारत में एनआरसी की प्रक्रिया पर उठाए गंभीर सवाल


un rights commissioner expresses grave concern over nrc in india

 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भारत में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तैयार हो रहे नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. परिषद ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि प्रक्रिया से अल्पसंख्यक समेत लाखों लोगों के सामने नागरिकता का संकट खड़ा हो गया है.

परिषद ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैलाई जा रही हेट स्पीच की वजह से उनके खिलाफ बन रहे विनाशकारी माहौल की संभावना पर चेतावनी दी है. परिषद ने कहा है कि एनआरसी की प्रक्रिया से अल्पसंख्यकों को पहले से ही बाहरी मानने वाले जहरीला माहौल और जहरीला होगा. इससे देश में धार्मिक असहिष्णुता और भेदभाव बढ़ेगा.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विशेषज्ञों को डर है कि प्रक्रिया से लाखों लोग, मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों के सामने दीर्घकालिक निर्वासन का खतरा मंडरा रहा है.

30 जुलाई 2018 को प्रकाशित एनआरसी ड्राफ्ट में 2 करोड़ 90 लाख लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इस ड्राफ्ट में शामिल होने के लिए 3 करोड़ 29 लाख लोगों ने आवेदन किया था. इस ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया था. जिसके बाद से 30 लाख से अधिक लोग सूची में अपना नाम शामिल करने के लिए आवेदन कर चुके हैं. इसके अलावा पहले शामिल किए गए दो लाख से अधिक नामों पर आपत्ति भी आई हैं.

असम में एनआरसी लिस्ट को सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में अपडेट किया जा रहा है. अंतिम लिस्ट 31 जुलाई को जारी की जाएगी. जिसके बाद सूची से बाहर किए गए लोगों को असम विदेश अधिकरण में ‘1946 विदेश अधिनियम’ के सेक्शन 9 के तहत साबित करना होगा कि वो ‘अनियमित विदेशी’ नहीं हैं.

असम विदेशी अधिकरण में एनआरसी, मतदाता सूची की जानकारी और नागरिकता निर्धारण की अलग-अलग न्यायिक प्रक्रियाओं में स्पष्टता नहीं होने की भी बात कही गई है. “यह पूरी प्रक्रिया को और अधिक जटिल बना रहा है, जिसकी वजह से भेदभाव की संभवनाएं बढ़ गई हैं.”

मौजूदा न्यायिक कानूनों में भेदभाव और विवेकहीनता को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि “नागरिकता की पहचान के लिए जरूरी प्रमाण जुटाना किसी व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है, यह राज्य का कार्य है.” वहीं विभिन्न राज्यों के नेताओं द्वारा एनआरसी को दूसरे राज्यों में लागू करने की मंशा पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं.

परिषद के मुताबिक बार-बार स्पष्टीकरण की मांगनें के बावजूद उन्हें एनआरसी की प्रक्रिया पर भारतीय अधिकारियों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.

बयान के आखिर में कहा गया है कि “हम भारत सरकार से असम और अन्य राज्यों में जारी एनआरसी प्रक्रिया की समीक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग करते हैं. साथ ही सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि इस चलते निरंकुश ढंग से लोगों को बेदखल ना किया जाए.”


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