शिक्षितों में है ज्यादा बेरोजगारी: NSO


worst unemployment rate raises tension in domestic loans

 

नेशनल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस (एनएसओ) की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ें बताते हैं कि साल 2017-18 में शिक्षित पुरूषों में बेरोजगारी निरक्षर पुरूषों की तुलना में कई गुना ज्यादा थी. साल 2017-18 में जहां 2.1 फीसदी निरक्षर पुरूष बेरोजगार थे, वहीं माध्यमिक स्कूल पास पुरूष में ये दर 9.1 फीसदी रही.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर बताती है कि पुरुषों की तुलना में शहरी बेरोजगार महिलाओं की संख्या और ज्यादा रही. रिपोर्ट बताती है कि 0.8 फीसदी शहरी अशिक्षित महिलाएं बेरोजगार थीं. जबकि उच्च शिक्षा या उच्च माध्यमिक स्कूल पास महिलाओं में ये दर 20 फीसदी तक रही.

31 मई को एनएसओ की ओर से आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) जारी किया गया था. सर्वेक्षण में श्रम बल में बेरोगाजार लोगों की संख्या के संबंध में जानकारी दी गई है.

सर्वेक्षण के मुताबिक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा या इससे ज्यादा शिक्षा प्राप्त शहरी महिलाओं में बेरोजगारी दर चार फीसदी तक बढ़ी है.

ग्रामीण क्षेत्रों के आंकड़े भी कुछ ऐसी ही कहानी बयान करते हैं, हालांकि वहां कम अंतर दिखता है. इसके साथ ही एनएसओ ने एक चेतावनी के साथ साल 2004-05, 2009-10 और 2011-12 के बेरोजगारी के आंकड़ें भी जारी किए हैं.

एनएसओ ने स्पष्ट किया है साल 2017-18 के आंकड़ों की गणना के लिए अलग तरीकों का इस्तेमाल किया गया है, ऐसे में इनकी तुलना पहले के आंकड़ों से नहीं की जानी चाहिए.

एनएसओ को चेतावनी को ध्यान में रखा भी जाए तो तमाम तथ्य बताते हैं कि बीते समय में शिक्षा के स्तर के साथ बेरोजगारी दर भी बढ़ी है.

भारत के पूर्व प्रमुख सांख्यिकीविद प्रोनब सेन ने बताया,”हमें पता है कि शिक्षा के स्तर के साथ बेरोजगारी बढ़ी है. ये तो केवल आधिकारिक पुष्टि है.”

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के सीईओ महेश व्यास ने बताया, “संगठित क्षेत्र में इससे पहले की पीढ़ी में बिना ग्रेजुएशन के नौकरी मिलना असंभव था.” वो कहते हैं,”आज संगठित क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए निम्नतम शिक्षा की बाध्यता कम हुई है.”

सर्वे की रिपोर्ट में माध्यमिक और इससे अधिक शिक्षित लोगों को शिक्षित के तौर पर परिभाषित किया गया है. इसके अलावा सर्वेक्षण में 15-23 साल के व्यक्ति को युवा की श्रेणी में रखा गया है. ये सर्वे 15 से अधिक उम्र के लोगों में किया गया है. इस पर कुछ जानकारों का कहना है कि 15 साल के व्यक्ति को रोजगार या बेरोजगार के तौर पर देखना सही नहीं होगा.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्या कांती घोष ने बताया,”संभावनाएं हैं कि एक युवा व्यक्ति में बेरोजगारी की दर अधिक होगी क्योंकि अगर शहरों की बात करें तो वहां एक नौजवान 23 से 24 की उम्र में या अपनी प्रोस्ट ग्रैजुएशन पूरी करने के बाद नौकरी देखता है.”

इसके साथ ही सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई. इस प्रकार सरकार ने बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की उस खबर को स्वीकार कर लिया है, जिसमें बेरोजगारी दर के पिछले 45 सालों में सर्वाधिक होने की बात कही गई थी.


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