कश्मीर पर चर्चा के लिए तैयार हुआ संयुक्त राष्ट्र
कुछ राजनयिकों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान की अपील पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कश्मीर पर लिए गए भारत के फैसले को लेकर चर्चा के लिए तैयार हो गया है.
लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि 15 सदस्यीय समिति कोई भी निर्णायक फैसला लेगी या ले पाएगी क्योंकि हमेशा की तरह अमेरिका भारत के पक्ष में है, तो वहीं दूसरी ओर चीन भी अपनी परंपरागत नीति के अनुरूप पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा है.
फ्रांस ने चीन और पाकिस्तान की अपील पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामले को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए चूंकि ये भारत का अंदरूनी मामला है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इसे ‘अन्य मामलों’ की तरह लेना चाहिए.
पाकिस्तानी मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि 4 दशक बाद सुरक्षा परिषद में कश्मीर मामले पर होने वाली बैठक पाकिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक कूटनीतिक उपलब्धि साबित होगी. कुरैशी ने अपने बयान में आगे कहा कि दुनिया को ये बात समझनी होगी कि कश्मीर का मामला केवल दो देशों के बीच एक जमीन के टुकड़े का ही नहीं बल्कि ये मामला अब इससे कहीं आगे बढ़कर इंसानियत का मामला है.
5 अगस्त को कश्मीर पर भारत के उठाए गए कदम के बाद वहां पर कई सुविधाओं को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था .कुरैशी ने कश्मीर पर बैठक का आग्रह करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लिखा कि “पाकिस्तान अपनी तरफ़ से कोई भी युध्द भड़काने वाली हरकत नहीं करेगा लेकिन भारत हमारे संयम को हमारी कमजोरी बिल्कुल ना समझे क्योंकि अगर भारत कोई कार्रवाई करता है तो पाकिस्तान उसका मुंहतोड़ जवाब देगा”.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि “भारत और पाकिस्तान दोनों को ऐसे कदम उठाने से बचना होगा जिससे कश्मीर की स्थिति प्रभावित होती हो या फिर किसी भी तरह से शांति भंग होती हो.”
पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 9 अगस्त को कश्मीर के ही सिलसिले में अपने चीनी समकक्ष से चीन में मुलाकात की, सूत्रों की माने तो चीन दौरे से वापस आने के बाद कुरैशी ने बयान दिया कि चीन इस मामले में पूरी तरह से भारत के साथ खड़ा है.
वहीं दूसरी ओर अपने चीन दौरे पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कश्मीर पर लिया गया फैसला भारत का अंदरूनी मामला है .