H-1B वीजा की संख्या कम करने पर विचार कर रहा है अमेरिका


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भारत और अमेरिका के बीच जारी टैरिफ और ट्रेड वॉर के बीच अमेरिका ने भारत से कहा है कि वो एच-1बी वीजा को सीमित करने पर विचार कर रहा है. अमेरिका का कहना है कि ये नियम उन देशों पर लागू किया जाएगा, जो विदेशी कंपनियों को अपने यहां डाटा जमा (डाटा स्थानीयकरण) करने के लिए बाध्य करते हैं.

ये खबर ऐसे समय में आई है जब कुछ दिन बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत की यात्रा पर आने वाले हैं.

लाइव मिंट की खबर के मुताबिक सबसे अधिक एच-1बी वीजा भारतीयों को जारी किए जाते हैं, जिसमें से अधिकतर लोग भारत की बड़ी प्रौद्योगिकीय संस्थाओं में काम करते हैं. उच्च कौशल वाले पेशेवर लोगों को एच-1 बी वीजा जारी किया जाता है. जबकि एच-4 वीजा एच-1बी वीजा धारकों के पति/पत्नियों को जारी किया जाता है.

16 जून को भारत की ओर से अमेरिका के कुछ सामनों पर ट्रैरिफ में बढ़ोतरी की गई थी. भारत की ओर से ये कदम तब उठाया गया, जब कुछ दिन पहले अमेरिका ने भारत को मिलने वाले व्यापारिक छूट खत्म कर दी थी.

बीते साल भारत ने विदेशी संस्थाओं को भुगतान संबंधित डाटा भारत में ही रखने के निर्देश दिए थे.

इसके अलावा डाटा स्टोरेज पर भारत की ओर से मास्टरकार्ड पर लगाए गए नियमों से यूएस खासा नाखुश चल रहा है. दरअसल विदेशी कंपनियों को भारत में ही डाटा रखने को कहा जाता है. इससे कंपनी पर नियंत्रण करने में आसानी होती है.

वहीं कुछ दिन पहले दो भारतीय अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि बीते हफ्ते अमेरिका की ओर से एच -1बी वीजा पर लागू होने वाली पाबंदियों के बारे में बताया गया था. उन्होंने कहा कि भारतीयों को हर साल जारी होने वाले एच -1बी वीजा की सीमा को सीमित करते हुए इसे 10 से 15 फीसदी किया जा सकता है.

फिलहाल हर देश को जारी होने वाले एच-1बी वीजा की संख्या निश्चित नहीं है. हर साल यूएस करीबन 85,000 एच-1बी वीजा जारी करता है. जिसमें से 70 फीसदी वीजा भारतीयों को जारी किए जाते हैं.

यूएस की ओर से भारत को बताया गया है कि ये नए नियम ‘डाटा स्थानीयकरण’ ( जिसके तहत कोई देश अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के डाटा पर नियंत्रण करने की कोशिश करता है) से जुड़े हुए हैं.

वॉशिंगटन स्थित एक कंपनी ने बताया,”यूएस अंतरराष्ट्रीय डाटा स्टोरेज नियमों की वजह से ही अब एच-1बी वीजा को सीमित करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि इससे भारत के साथ दूसरे देश भी प्रभावित होंगे.”

उनके मुताबिक अगर कोई देश डाटा स्थानीयकरण करता है तो उसके लिए वीजा जारी करने की सीमा 15 फीसदी से अधिक नहीं रखी जाएगी.

अमेरिका के दूतावास और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधित्व (यूएसटीआर) ने फिलहाल इस पर कोई जवाब नहीं दिया है.

आईटी क्षेत्र होगा प्रभावित

अगर अमेरिका इस फैसले को लागू करता है तो भारत का 10 लाख करोड़ से अधिक का सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग प्रभावित होगा. जिसमें टाटा कंसल्टेंसी और इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जो अपने इंजीनियर और डेवलपर्स को यूएस स्थित कलाइंट्स को सेवाएं देने के लिए एच-1बी वीजा के जरिए अमेरिका भेजती हैं.

विदेश मंत्रालय ने अधिकारियों से इस स्थिति से निपटने के लिए जल्द-जल्द से सुझाव मांगे हैं. हालांकि फिलाहाल विदेश मंत्रालय और वाणिज्य विभाग की ओर से इस संबंध में कोई जवाब नहीं मिला है.

फिलहाल भारत नए डाटा कानून पर भी काम कर रहा है, जिसके तहत संवेदनशील डाटा को सुरक्षित करने के लिए कड़े नियम लागू किए जाएंगे.

यूएसटीआर ने इस साल मार्च में जारी एक प्रेस नोट में डिजिटल व्यापार के क्षेत्र में बाधाओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. साथ ही भारत, चीन, इंडोनेशिया और वियतनाम देशों में डाटा प्रवाह के क्षेत्र में प्रतिबंध होने की बात को भी प्रमुखता से उठाया था.


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