बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन को लेकर भारत की निगरानी बरकरार: USTR
अमेरिकी सरकार ने बौद्धिक सम्पदा (आईपी) नियमन के क्षेत्र में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए ‘प्राथमिक निगरानी’ सूची में देश का नाम बरकरार रखा है.
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधित्व (यूएसटीआर) की हालिया स्पेशल 301 रिपोर्ट में कहा गया है कि “भारत ने बौद्धिक संपदा संरक्षण व्यवस्था को लेकर लंबे समय से चली आ रही शिकायतों से निपटने की दिशा में अभी कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं किया है.”
वहीं बीते वर्षों में भारत यूएसटीआर रिपोर्ट को एकपक्षीय कह कर नकारता रहा है. भारत का मानना रहा है कि वो आईपी नियमन को लागू करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
यूएसटीआर ने अपनी रिपोर्ट में भारत सहित 11 देशों को ‘प्राथमिक निगरानी’ सूची में रखा है. इसके अलावा यूएसटीआर ने पाकिस्तान और तुर्की सहित 25 देशों को ‘निगरानी सूची’ में रखा है.
रिपोर्ट के मुताबिक नकली दवाइयों के उत्पादन के क्षेत्र में भारत और चीन सबसे आगे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि “इस संबंध में सटीक आंकड़े देना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी अलग-अलग अध्ययनों से अंदाजा लगाया गया है कि भारतीय बाजारों में बिक रही लगभग 20 फीसदी दवाइयां नकली हैं, जो मरीज के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.”
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की इसी साल प्रकाशित हुई रिपोर्ट के हवाले से यूएसटीआर ने कहा कि भारत नकली दवाइयों के उत्पादन की सूची में टॉप 5 में आता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, “2017 में प्रकाशित ओईसीडी की रिपोर्ट और यूरोपियन यूनियन इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस ने कहा है कि भारत नकली प्रॉडक्ट्स का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. इन उत्पादों में खाने के सामान, कपड़े, जूते-चप्पल आदि, परफ्यूम और कॉस्मेटिक, दवाइयां, खिलौने, वीडियो गेम्स, खेल के उत्पाद और बिजली के उत्पाद शामिल हैं.”
साथ ही 2017 की रिपोर्ट में यह भी पाया गया था कि विश्व में नकली दवाइयों के कुल उत्पादन का करीब 55 फीसदी अकेले भारत में उत्पादित होता है. जो किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा है.
ऐसे में भारत भले ही तकनीक को बढ़ावा देकर आईपी नियमन और बचाव के क्षेत्र में कड़े कदम उठाने का दावा करे, लेकिन यूएसटीआर का दावा है कि भारत ने दवाइयों, चिकित्सा उपकरणों, इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट और सोलर एनर्जी इक्विपमेंट पर भारी कस्टम ड्यूटी को लगातार बरकरार रखा है.
हालांकि इस क्षेत्र में भारत की कुछ उपलब्धियों की सराहना करते हुए रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत साल की शुरुआत में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन, इंटरनेट संधियों और नाइस समझौता (इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज) से जुड़ने में कामयाब रहा है. साथ ही भारत ने नकली उत्पादों की रोकथाम के लिए संशोधित विधेयक भी तैयार किया है, जो फिलहाल संसद में लंबित है.