हम कोई ट्रायल कोर्ट नहीं, हिंसा की हर घटना की सुनवाई नहीं कर सकते: SC


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

नागरिकता संशोधन कानून से जुड़ी हिंसक घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह अनुमान ना लगाया जाए कि इस कानून से जुड़ी हिंसक घटनाओं के लिए सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाली बेंच के सामने पेश होते हुए एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि नागरिकता कानून को लेकर हो रही हिंसक घटनाओं की जांच एनआईए या सीबीआई से करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली की राज्य मशीनरी हिंसा को लेकर कड़ा रुख नहीं अपना रही हैं.

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा, ‘हम कोई ट्रायल कोर्ट नहीं है. पूरे देश में हो रही हिंसक घटनाओं की सुनवाई हमारे यहां नहीं हो सकती.’

चीफ जस्टिस की यह टिप्पणी तब आई है जब जामिया मिलिया इस्लामिया विश्विद्यालय के तीन पूर्व छात्रों और दूसरे लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होनी थी. इन याचिकाओं में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के कैंपस में पुलिस द्वारा की गई हिंसा की जांच या तो सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व जज या फिर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के किसी सदस्य द्वारा कराने की मांग की गई थी.


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