‘कश्मीरियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होने की जरूरत’


we need to stand up against injustice being done to kashmiris

 

“कश्मीर के साथ जो हुआ है, जिस तरीके से हुआ है और जो अभी हो रहा है, वो सब गलत है. कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ये कहना आसान है, लेकिन यहां से बाहर इसे कहना बहुत मुश्किल है. अगर हमें कश्मीर के लोगों को उनका हक दिलाना है तो इस मुश्किल काम को पूरी मजबूती से करना पड़ेगा.” भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यह बात दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘कश्मीर: मौका या धोखा’ नाम से आयोजित कार्यक्रम में कही.

इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के त्वरित और दीर्घकालीन परिणाम, इसकी वैधानिकता और संवैधानिकता और देश के संघीय ढांचे एवं दक्षिण एशिया में शांति व्यवस्था पर इससे पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चर्चा हुई.

दीपांकर भट्टाचार्य ने सरकार के इस कदम की असंवैधानिकता पर जोर देते हुए कहा, “अनुच्छेद 370 अस्थाई था. इस तरह तो संविधान में आरक्षण का प्रावधान भी अस्थाई है. आगे तो ये सरकार सामाजिक समरसता के नाम पर आरक्षण को भी हटा देगी. हमें इस बात को देश के बहुजनों तक पहुंचाना होगा और उन्हें कश्मीरियों के खिलाफ हुए इस हमले के खिलाफ लड़ाई में साथ लेना होगा.”

वहीं प्रोफेसर मनोरंजन मोहंती ने कहा, “अनुच्छेद 370 को हटाना कश्मीरियों के साथ किया गया विश्वासघात है. सरकार ने गवर्नर को वहां की विधानसभा और राष्ट्रपति को गवर्नर का प्रतिरूप मान लिया. इस आधार पर उन्होंने कश्मीर के लोगों का नाम लेकर ये कदम उठाया. लेकिन हम सब जानते हैं कि इसमें कश्मीर के लोग कहीं भी नहीं हैं.”

मशहूर फिल्म निर्माता तपन बोस ने कहा कि अमित शाह ने संसद में कहा कि धारा 370 कश्मीर के विकास में बाधक है, लेकिन विकास के तमाम मानकों पर कश्मीर भारत के कई दूसरे राज्यों से आगे है. बात चाहे जीवन प्रत्याशा की हो, बाल मृत्यु दर या फिर साक्षरता की, कश्मीर काफी आगे है. मतलब साफ है कि सरकार ने यह कदम किसी और उद्देश्य से उठाया है.

कार्यक्रम में कश्मीर से आने वाले डॉक्टर मुद्स्सिर और जावेद ने भी अपनी बात रखी. डॉक्टर जावेद ने कहा कि हमें परेशानी उस मानसिकता से है, जिसने संविधान को महज एक कागज का टुकड़ा बना दिया है. हां, कश्मीर में दिक्कतें हैं. लेकिन उनका समाधान राजनीतिक बातचीत से संभव है, ना कि एकतरफा तानाशाह फैसले से.

वहीं, डॉक्टर मुदस्सिर ने कहा कि हम संविधान के साथ किए गए खिलवाड़ के खिलाफ हैं. एक तरफ आप हमें आतंकित करते हो, हमारे मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हो और दूसरी तरफ कहते हो हम आपका अभिन्न अंग हैं. हमारे अधिकारों को छीनना एकीकरण नहीं बल्कि विघटन है.

कार्यक्रम को संचालित कर रहे ‘पाकिस्तान इंडिया पीपल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी’ के एम विजयन ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने कल कश्मीर के लोगों को संबोधित किया, लेकिन विडंबना ये रही कि कश्मीर में उन्हें कोई नहीं सुन पाया क्योंकि वहां संचार के सारे संसाधन ठप हैं.

उन्होंने कहा, “जाहिर है कि प्रधानमंत्री ने कल सिर्फ अपने वोटबैंक को संबोधित किया ना कि अनिश्चितताओं में जी रहे कश्मीरियों को, क्योंकि उन्हें उनकी चिंता ही नहीं है.”

कार्यक्रम को पीआईपीएफपीडी, सिटिजंस अगेन्स्ट वार, देल्ही सॉलिडेरिटी ग्रुप और दूसरे प्रगतिशील संगठनों ने संयुक्त रूप से आयोजित किया. डॉ. सैय्यदा हमीद, संजय काक, सुनील चक्रवर्ती, नवचरण सिंह कार्यक्रम में शामिल हुए.


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