सेना के शौर्य के पीछे छिप रही है मोदी सरकार: मनमोहन सिंह


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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मौजूदा सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी आर्थिक नाकामियों को छिपाने के लिए सेना के शौर्य का सहारा ले रहे हैं.

उन्होंने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “यूपीए सरकार के समय कई सर्जिकल स्ट्राइक हुईं लेकिन हमारा विश्वास रहा है कि इसका इस्तेमाल वोट लेने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.”

उन्होंने साफ शब्दों मे कहा कि राजनीतिक फायदों के लिए सैन्य कार्रवाई को नहीं भुनाया जाना चाहिए.

मनमोहन सिंह ने कहा कि इस सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ. उन्होंने कहा, “इन फैसलों के लिए सरकार को माफ नहीं किया जा सकता है. ये बेहद शर्मनाक है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.”

हाल ही में चुनावी रैलियों के दौरान बीजेपी नेता अमित शाह और निर्मला सीतारमण ने मनमोहन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि यूपीए सरकार ने साल 2008 में मुंबई में 26/11 आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले संगठन लश्कर-ए-तयैबा को मुंह तोड़ जवाब नहीं दिया था.

इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी सरकार ने 26/11 हमले के बाद पर्याप्त कदम नहीं उठाए थे?

तब मनमोहन सिंह ने कहा, “मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. भारत चाहता तो सैन्य कार्रवाई कर सकता था, पर हमने पाकिस्तान को अलग-थलग करने और आतंक के पनाहगार के रूप में उसका चेहरा सामने लाने के लिए रणनीतिक रास्ता चुना.”

86 वर्षीय राज्य सभा सांसद सिंह ने कहा, “हमलों के 14 दिन के भीतर हमने हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए चीन को सहमत किया. इसके अलावा हमारी सरकार ने सुनिश्चित किया कि अमेरिका लश्कर के संस्थापक और मुंबई आतंकी हमलों के दोषी हाफिज सईद पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखे.”

चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश के बावजूद तमाम बीजेपी नेताओं द्वारा अपनी चुनावी रैलियों में सेना के शौर्य के नाम पर जनता से वोट मांगने पर भी उन्होंने आपत्ति जताई.

जब सिंह से कहा गया कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में अब तक दो एयर स्ट्राइक की जानकारी सार्वजनिक की है. पहली सर्जिकल स्ट्राइक उरी आतंकी हमले के बाद 29 सितंबर, 2016 को की गई थी और दूसरी एयर स्ट्राइक पुलवामा हमले के बाद 26 फरवरी को की गई. इस तरह से जनता के बीच पहले रहे नेताओं की तुलना में मोदी की छवि एक मजबूत और निर्णायक नेता के तौर पर बनाने की कोशिश की गई है.

इस पर उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के बाद यूपीए सरकार ने तटीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर काम किया.

यहां मनमोहन सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता पर यह कहते हुए सवाल उठाए कि यूपीए सरकार ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र द्वारा विकसित तटीय सुरक्षा तंत्र का सुझाव दिया था, जिसका उन्होंने विरोध किया था.

मनमोहन सिंह ने पूर्व नेताओं से मोदी की तुलना को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी और लाल बाहुदर शास्त्री प्रतिबद्ध और दृढ़ निश्चय वाले नेता थे.

सिंह स्पष्ट शब्दों में कहा, “पहले के नेताओं की महानता और मौजूदा संकीर्ण सरकार में कोई तुलना नहीं की जा सकती.”

1971 और 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में सैन्य कार्रवाई का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, “ना ही श्रीमती गांधी और ना ही उनके बाद सत्ता में आए लोगों ने सैन्य कार्रवाई का श्रेय लिया.”

सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार पूरी तरह विफल रही है. उन्होंने बीते पांच साल के आंकड़े पेश करते हुए कहा, “पिछले पांच साल में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों की संख्या 176 गुना बढ़ी. इसके अलावा पाकिस्तान की ओर से हजारों बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया. हमारे सैन्य केंद्रों पर 17 बड़े आतंकी हमले हुए. पिछले 57 साल में सेना पर जीडीपी का सबसे कम खर्च किया गया. क्या ये तथ्य रक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार की विफलताओं को नहीं दर्शाते हैं.”


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