सीजेआई यौन उत्पीड़न मामले में आरोप लगाने वाली महिला की पेशी
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी आरोप की आंतरिक जांच के लिये गठित तीन न्यायाधीशों की समिति के समक्ष पेश हुई.
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली इस समिति ने चैंबर में पहली बैठक की. बैठक में जस्टिस इन्दु मल्होत्रा और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी भी बैठक उपस्थित थीं.
सूत्रों ने बताया कि सेक्रेटरी जनरल इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज और सामग्री के साथ समिति के समक्ष पेश हुए.
सूत्रों ने बताया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान सिर्फ शिकायतकर्ता महिला उपस्थित थी और सेक्रटरी जनरल इस कार्यवाही में शामिल नहीं थे. महिला के साथ वहां आने वाले वकील भी इस कार्यवाही का हिस्सा नहीं थे.
इस महिला कर्मचारी ने एक हलफनामे पर प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के 22 न्यायाधीशों के आवास पर भेजा था. इसी हलफनामे के आधार पर चार समाचार पोर्टलों ने कथित यौन उत्पीड़न संबंधी खबर भी प्रकाशित की थी.
प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप की खबरें सामने आने पर शीर्ष अदालत ने 20 अप्रैल को ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित अत्यधिक महत्व का सार्वजनिक मामला’ शीर्षक से सूचीबद्ध प्रकरण के रूप में अभूतपूर्व तरीके से सुनवाई की थी.
हालांकि, इसके बाद न्यायालय ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता में एक आंतरिक जांच समिति गठित की थी. समिति ने शिकायतकर्ता महिला और सेक्रेटरी जनरल को उपस्थित होने का निर्देश दिया था.
इस बीच, शिकायतकर्ता महिला ने समिति में न्यायमूर्ति एनवी रमण को शामिल किये जाने पर आपत्ति की थी. इस घटनाक्रम के बाद न्यायमूर्ति रमण ने कथित यौन उत्पीड़न की शिकायत पर जांच के लिए गठित आंतरिक समिति से खुद को अलग कर लिया था.