प्रेस काउंसिल ने कहा, कश्मीर में संचार प्रतिबंध देश हित में


2G mobile internet restored in five Jammu districts

  Twitter

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की दायर याचिका में हस्तक्षेप करने की मांग की है.  दायर याचिका कश्मीर में संचार प्रतिबंधों में ढील देने की मांग करती है.

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का काम प्रेस की स्वतंत्रता को सरंक्षित करना है. हालांकि, पीसीआई ने अपने आवेदन में यह भी कहा कि संचार पर प्रतिबंध लगना राष्ट्र की एकता और संप्रभुता के हित में है.

पीसीआई के आवेदन के अनुसार याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बारे में कुछ उल्लेख नहीं किया है,  जिसके कारण कश्मीर में संचार पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

आवेदन में उल्लेख किया गया है कि प्रेस काउंसिल के बनाए गए पत्रकारिता के मानदंडों के खंड 23 “सर्वोपरि राष्ट्रीय, सामाजिक या व्यक्तिगत हितों” के मामले में पत्रकारों को आत्म-नियमन प्रदान करते हैं.

भसीन की  याचिका एक तरफ स्वतंत्र रिपोर्टिंग के लिए पत्रकारों, मीडिया के अधिकारों की चिंता करती है, तो दूसरी ओर, प्रेस काउंसिल को मामले में सहायता करने के लिए न्यायालय के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने की अनुमति की मांग करती है.

भसीन ने अपने दलील में कहा  है कि इंटरनेट और दूरसंचार का बंद होना, गतिशीलता पर गंभीर प्रतिबंध और सूचनाओं के आदान-प्रदान पर व्यापक रोक लगाना संविधान के  अनुच्छेद 19 के तहत भाषा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रही है. उन्होंने कहा इस समय जम्मू-कश्मीर में    महत्वपूर्ण राजनीतिक और संवैधानिक बदलाव किए जा रहे हैं.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि सूचना ब्लैकआउट लोगों के अधिकारों का प्रत्यक्ष उल्लंघन है, जो सीधे उनके जीवन और उनके भविष्य को प्रभावित करता है. इन्टरनेट शटडाउन का मतलब यह भी है कि मीडिया किसी भी घटनाओं पर रिपोर्ट नहीं कर सकती और कश्मीर के लोगों तक वह जानकारी नहीं पहुंच सकती जो भारत के बाकी हिस्सों में उपलब्ध हैं.

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार के लगाए गए गंभीर प्रतिबंधों के कारण, याचिकाकर्ता के अखबार, कश्मीर टाइम्स, श्रीनगर संस्करण को वितरित और प्रसारित नहीं किया जा सका है. इसलिए याचिकाकर्ता ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट, मोबाइल और फिक्स्ड-लाइन दूरसंचार सेवाओं सहित असंवैधानिक रूप से बंद या निलंबित संचार को जारी किए गए सभी आदेशों, अधिसूचनाओं, निर्देशों को रद्द करने की मांग की है.

उन्होंने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर में मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाओं सहित संचार के सभी तरीकों को तुरंत बहाल करने के लिए एक दिशा-निर्देश मांगा है ताकि मीडिया को अपने पेशे का अभ्यास करने के लिए सक्षम वातावरण प्रदान किया जा सके.

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने पत्रकारों और अन्य मीडिया कर्मियों की स्वतंत्र और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की मांग की है.


Big News