जीएसटी के तहत राजस्व में कमी से राज्यों को मुआवजा राशि मिलने में हो रही है देर


New system of GST return will be applicable from October

 

कांग्रेस के सदस्यों ने राज्यसभा में बुधवार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत राजस्व में कमी होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस कमी की वजह से राज्यों को केंद्र की ओर से जो मुआवजा राशि दी जाने वाली थी, उसमें देर हो रही है.

उन्होंने कहा कि इससे प्रदेशों में विकास कार्य तथा कर्मचारियों के वेतन भुगतान एवं पेंशन आदि पर असर पड़ सकता है.

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि पंजाब को जीएसटी मुआवजे के तहत 2,100 करोड़ रुपये और बकाये के तौर पर 2,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने हैं. कुल मिला कर पंजाब को केंद्र की ओर से 4,100 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि दी जानी है जो उसे अब तक नहीं मिली है.

कांग्रेस सदस्य ने कहा कि ‘एक राज्य एक कर’ की अवधारणा के तहत जीएसटी के लिए राज्यों में लेवी करों का अपना अधिकार त्याग दिया था.

उन्होंने कहा कि जुलाई 2017 में जब 17 विभिन्न केंद्रीय और राज्य करों को जीएसटी में समाहित किया गया था तब राज्यों को आश्वासन दिया गया था कि जीएसटी की वजह से राज्यों को राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की जाएगी. तब राज्यों को जीएसटी लागू होने के बाद शुरुआती पांच साल तक यह मदद देने का आश्वासन दिया गया था.

बाजवा ने कहा कि शुरू में प्रति माह के आधार पर मुआवजा दिया गया लेकिन बाद में एक माह की यह अवधि बढ़ा कर दो माह कर दी गई.

कांग्रेस सदस्य ने कहा ” दो माह की अवधि किए जाने के बावजूद अगस्त, सितंबर, अक्टूबर का मुआवजा लंबित है और अब तो नवंबर भी खत्म होने जा रहा है. लेकिन मुआवजे के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.”

बाजवा ने कहा कि अपने कर अधिकार त्यागने के बाद छोटे राज्यों को पहले ही आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे में केंद्र की ओर से उन्हें मिलने वाले जीएसटी मुआवजे में विलंब से राज्यों में विकास कार्यों, कर्मचारियों के वेतन भुगतान एवं पेंशन देने पर असर पड़ सकता है.

उन्होंने कहा कि गत बुधवार को राज्य वित्त मंत्र की अधिकारिता समिति की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब के वित्त मंत्रियों ने जीएसटी मुआवजे का जिक्र किया था.

बाजवा ने कहा कि जीएसटी मुआवजे में विलंब को लेकर कोई स्पष्टीकरण भी सरकार की ओर से नहीं दिया गया है.

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मुद्दे पर विचार करने और जीएसटी मुआवजा शीघ्र देने का अनुरोध किया.

शून्यकाल में ही तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुनिया ने भी जीएसटी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह में तय लक्ष्य से एक लाख करोड़ रूपये की कमी आई है.

भुनिया ने कहा कि जब जीएसटी को लागू करने की मांग की जा रही थी तब उनकी पार्टी ने आगाह किया था कि जल्दबाजी में इसे लागू करने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और यही हुआ.

उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह में तय लक्ष्य से कमी आने की वजह से राज्यों को जीएसटी मुआवजा केंद्र की ओर से नहीं दिया जा रहा है जिससे राज्यों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

भुनिया ने सरकार से वास्तविक स्थिति बताने की मांग करते हुए कहा कि समय रहते इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2019-20 (अप्रैल से मार्च) के लिए 6.63 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी राजस्व का अनुमान जाहिर किया है जो कि 2018-19 में संग्रह किए गए 5.84 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 13.6 फीसदी अधिक है.

शून्यकाल में ही कांग्रेस के डॉ टी सुब्बीरामी रेड्डी ने आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले में बनाए गए श्रीसेलम बांध का मुद्दा उठाते हुए इसकी मरम्मत की मांग की.

रेड्डी ने कहा कि कुरनूल जिले में कृष्णा नदी पर बिजली परियोजना के तौर पर वर्ष 1960 में श्रीसेलन परियोजना आरंभ हुई थी और वर्ष 1980 में बांध बनाया गया था. उन्होंने कहा कि आज इस बांध की मरम्मत की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महासागर विज्ञान संस्थान ने इस बांध को समुचित रखरखाव के अभाव में हुए नुकसान का जिक्र करते हुए इसकी मरम्मत की जरूरत रेखांकित की थी. इस बांध को हुए नुकसान से नागार्जुन सागर बांध पर भी असर पड़ेगा.

रेड्डी ने सरकार से इस ओर शीघ्र ध्यान दिए जाने का अनुरोध किया.

तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री ने दार्जिलिंग की ”हिमालयी टॉय ट्रेन” का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इस ट्रेन को वर्ष 1999 में विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था.

शांता ने कहा कि पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय यह ट्रेन चाय बगानों, बाजारों, पहाड़ों, जंगों से लेकर कंचनजंगा की खूबसूरत चोटियों का नजारा दिखाती है. उन्होंने कहा ”इस ट्रेन के महत्व को देखते हुए इसका आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए.”


Big News