वेतन कटौती पर सुप्रीम फैसला क्या कानून की अवहेलना नहीं?


 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गृहमंत्रालय के नोटिफिकेशन के हिसाब से लॉकडाउन के 54 दिनों का वेतन न देने वाले या कटौती के साथ देने वाली कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. क्या लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही कंपनियां इस कदर घाटे में चली गयीं कि वे अपने कर्मचारियों को वेतन न दे सकें और अगर ऐसा है तो क्या उनकी बैलेंस शीट देखी गयी? क्या ये फैसले मजदूरों के खिलाफ और कंपनियों की पक्षधरता का बयान नहीं है?


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