राफेल डील मामले में पहले खुद को बचाएंगे सीएजी राजीव महर्षि: कांग्रेस


kapil sibal says why there is fluctuations in evm in dalit minority constituency

  PTI

कांग्रेस ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) पर हितों का टकराव का आरोप लगाया है. सीएजी राजीव महर्षि से पार्टी ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग करने का अनुरोध किया है. वह तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर राफेल डील संबंधी वार्ता का हिस्सा थे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बताया कि राजीव महर्षि 11 फरवरी को संसद में राफेल करार पर रिपोर्ट पेश कर सकते हैं.

सिब्बल ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर वह वित्त सचिव रहते हुए लिए गए फैसलों की जांच नहीं कर सकते. वह पहले खुद को और फिर अपनी सरकार को बचाएंगे. इससे बड़ा हितों का टकराव तो कुछ हो ही नहीं सकता.’’

कांग्रेस ने यह भी कहा कि महर्षि द्वारा संसद में राफेल पर रिपोर्ट पेश करना अनुचित होगा.

कांग्रेस ने बयान जारी कर आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने 36 राफेल विमानों की खरीद में ‘राष्ट्रहित’ एवं ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से समझौता किया है. पार्टी ने कहा कि सीएजी का संवैधानिक एवं वैधानिक कर्तव्य है कि वह राफेल करार सहित सभी रक्षा अनुबंधों का फॉरेंसिक ऑडिट करे.

कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘स्पष्ट तौर पर हितों के टकराव के कारण आपके द्वारा 36 राफेल विमान करार का ऑडिट करना सरासर अनुचित है…संवैधानिक, वैधानिक और नैतिक तौर पर आप ऑडिट करने या संसद के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के योग्य नहीं हैं….हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप खुद को इससे अलग करें और सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करें कि ऑडिट शुरू कर आपने सरासर अनुचित किया है.’’

सिब्बल ने कहा कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे और इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘….वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है….अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ. अब वह सीएजी के पद पर हैं. हमने 19 सितंबर 2018 और चार अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की. हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया. हमने उन्हें बताया कि करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ. लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?’’


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