50 साल पहले जब चांद पर इंसान ने कदम रखा था


50 years ago when Apollo 11 was launched for the moon

 

चांद पर पहली बार उतरने वाले अंतरिक्ष यान ‘अपोलो 11’ को 16 जुलाई के दिन ही 1969 में लांच किया गया था. अमेरिका के इस अभियान के रोमांचक और दिलचस्प किस्से अभियान के 50 साल बाद भी याद किए जाते हैं.

‘अपोलो 11’ यूं तो योजना मुताबिक चंद्रमा की यात्रा पर निकला था, लेकिन यान के चांद पर कदम रखने से पहले के वो 20 मिनट बड़े तनावपूर्ण थे क्योंकि यान के दल को एक साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था.

अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में 20 जुलाई 1969 का वह दिन बेहद अहम दिन होने वाला था क्योंकि 20 जुलाई के ही दिन यह चांद पर उतरने वाला था. तभी अचानक ह्यूस्टन स्थित मिशन के नियंत्रण से यान का रेडियो संपर्क टूट गया.

यान में एडविन बज आल्ड्रिन और मिशन कमांडर नील आर्मस्ट्रांग मौजूद थे. यान का लूनर मॉड्यूल ‘ईगल’ आधा रास्ता तय कर चांद पर उतरने ही वाला था कि तभी यान में खतरे की घंटी बज उठी.

‘ईगल’ यान के मुख्य हिस्से कमांड मॉड्यूल ‘कोलंबिया’ से दो घंटे पहले ही अलग हो चुका था जिसमें चालक दल के तीसरे सदस्य माइकल कोलिंस मौजूद थे.

बेहद प्रतिभाशाली टेस्ट पायलट और एयरोनॉटिकल इंजीनियर रहे आर्मस्ट्रांग के लिए यह बहुत तनावपूर्ण समय था, जो बहुत कम बोलने के लिए मशहूर थे.

उनके नीचे चंद्रमा के क्रेटर (गड्ढे) बड़ी तेजी से घूम रहे थे. आर्मस्ट्रांग ने सोचा कि इस तरह से तो वो लोग तय जगह से मीलों दूर उतरेंगे।

उन्होंने फौरन नई जगह तलाश करनी शुरू कर दी, लेकिन उपयुक्त स्थान तलाश करने में उन्हें मुश्किल हो रही थी.

उन्होंने आल्ड्रिन से कहा, ‘‘बहुत चट्टानी क्षेत्र है.’’

आल्ड्रिन कम्प्यूटर पर उन्हें लगातार यान की गति और ऊंचाई का माप बता रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छी तरह से नीचे आ रहे हैं.’’

आर्मस्ट्रांग ने पूछा, ‘‘क्या इस क्रेटर पर उतरना सही होगा?’’

इस बीच यान का ईंधन भी तेजी से कम हो रहा था.

समय निकलता जा रहा था और ह्यूस्टन से लगातार ईंधन की खपत संदेश भेजे जा रहे थे. अंतत: वहां से संदेश भेजा गया, ‘‘मात्र 30 सेकंड बचे’’ हैं. दरअसल, 20 सेकंड शेष रहने पर या तो ‘ईगल’ को चांद पर कदम रखता या फिर उसे अपना मिशन खत्म करना पड़ता.

आर्मस्ट्रांग शांत भाव से ध्यान केंद्रित करते हुए अपने समूचे अनुभव का इस्तेमाल कर रहे थे कि तभी आल्ड्रिन की आवाज आयी, ‘‘कॉन्टैक्ट लाइट’’, जिसका अर्थ था यान के पहिए के फुट सेंसर ने चांद की सतह को छू लिया था. इंजन भी बंद हो चुका था.

आर्मस्ट्रांग ने संदेश ह्यूस्टन, ट्रांक्यूलिटी बेस को संदेश भेजा, ‘‘ईगल चांद पर कदम रख चुका है…’’
उन्होंने उस वक्त जो कहा था वो बाद में काफी मशहूर वाक्य के रूप में मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा.
नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर उतरते वक्त कहा था, “दैट्स वन स्मॉल स्टेप फॉर मैन, वन जाइंट लीप फॉर मैनकाइंड यानि यह मनुष्य के लिए छोटा कदम है, मानव जाति के लिए बड़ी छलांग है.”
हालांकि अंतरिक्ष से लौटने के बाद ऑर्मस्ट्रांग ने कहा कि उन्होंने जो सोचा था वह यह नहीं था. उन्होंने कहा कि चंद्रमा से बोले गए उनके एक वाक्य में एक शब्द रह गया था, “दैट्स वन स्मॉल स्टेप फॉर ‘अ मैन’ यानि यह एक ‘व्यक्ति’ के लिए छोटा कदम है.”

1999 में 30वीं वर्षगांठ की सभा के दौरान, अपोलो 11 के कमांडर ने स्वीकार किया कि उन्होंने 20 जुलाई, 1969 को जब ट्रांसमिशन सुना था, उन्होंने खुद भी अपने को जो सोचा था, वह कहते नहीं सुना था. लेकिन उनकी मंशा ‘अ मैन’ जोड़ने की थी.


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