डॉ. पायल तड़वी की हत्या के विरोध में एम्स में जुटे शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता


a meeting was organised in aiims against the institutional murder of doctor payal tadvi

 

मुंबई के नायर मेडिकल कॉलेज में डॉ. पायल तड़वी की संस्थानिक हत्या को लेकर 31 मई को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सभा का आयोजन किया गया. ‘डेलिबेरेट अपॉन कास्ट डिसक्रिमिनिशन इन इन्सटीट्यूशन ऑफ हायर एजुकेशन’ नाम से इस सभा का आयोजन ‘एम्स फ्रन्ट फॉर सोशल कांशियसनेस’ की तरफ से किया गया. इस सभा में जवाहरलाल नेहरू और दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी सदस्य और दूसरे डॉक्टर, शिक्षक, छात्र और कर्मचारी शामिल हुए.

एम्स में जनरल सर्जरी एंड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के जनरल सेक्रेटरी प्रोफेसर एल आर मुरमू ने सभा का संचालन किया. वहीं हिंदू कॉलेज के प्रोफेसर रतन लाल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर अतुल सूद और जाने माने समाजशास्त्री प्रोफेसर सतीश देशपांडे ने अभिभाषण दिए.

सभी वक्ताओं ने डॉक्टर पायल तड़वी की मौत को देश की वर्तमान राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों के संदर्भ में देखा, जहां हिंदूवादी दक्षिणपंथ के मजबूत उभार की वजह से हाशिये पर रहे लोगों के लिए तमाम मुसीबतें खड़ी हो गई हैं. वक्ताओं ने कहा कि जाति के आधार पर हो रहे शोषण को लेकर इन ताकतों का नजरिया घोर प्रतिगामी है.

अपने साथ हुए जातिगत शोषण को याद करते हुए प्रोफेसर रतन लाल ने कहा कि आज उस व्यवस्था के खिलाफ एक सतत संघर्ष चलाने की आवश्यकता है, जो विभन्न संस्थानों में उच्च जातियों का प्रभुत्व बनाए रखने के लिए आरक्षित जातियों से आने वाले शिक्षकों और विद्यार्थियों का शोषण करती है.

वहीं प्रोफेसर अतुल सूद ने एक नये कॉमन सेंस के निर्माण की बात कही. प्रोफेसर ने कहा कि वर्तमान में सत्ता पर काबिज दक्षिणपंथी शक्तियों द्वारा एक नये तरह के कॉमन सेंस का निर्माण किया जा रहा है. इस नये कॉमन सेंस में देश की आर्थिक-सामाजिक असामनता और सच्चाई को कोई जगह नहीं दी जा रही है. कहा जा रहा है कि अगर आगे पहुंचना है तो कमजोरों को पीछे छोड़ना होगा. प्रोफेसर ने कहा कि आज जरूरत है कि सत्ता पर काबिज प्रतिक्रियावादी ताकतों से लड़ा जाए और अकादमिक क्षेत्र को इसमें मुख्य भूमिका निभानी होगी.

सभा के अंत में ‘एम्स फ्रन्ट फॉर सोशल कांशियसनेस’ ने डॉ. पायल तड़वी की संस्थानिक हत्या को लेकर नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल ट्राइब्स, नेशनल कमीशन फॉर माइन्योरिटीस और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ढीली प्रतिक्रिया की आलोचना की. इसके साथ ही संस्था ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.


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