2030 तक एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं गवां सकती हैं नौकरियां: अध्ययन


according to study 12 million women may loose their job to automation by 2030

 

एक अध्ययन के मुताबिक़, भारत में बढ़ते मशीनीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के चलते आने वाले दस वर्षों में महिलाएं बड़ी संख्या में अपनी नौकरियों से हाथ धो सकती हैं.

मैकिंसे ग्लोबल इंस्टिट्यूट के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, साल 2030 तक मशीनीकरण के कारण करीबन एक करोड़ 20 लाख महिलाएं अपनी नौकरियां गवां सकती हैं. अध्ययन में मशीनीकरण के महिला कामगारों की नौकरी पर पड़ने वाले प्रभावों का आंकलन किया गया है. यह अध्ययन 10 देशों की महिलाओं पर किया गया है.

लाइव मिंट की खबर के मुताबिक कृषि, वानिकी, मत्सय, परिवहन और भंडारण क्षेत्रों में मशीनीकरण के बाद महिलाकर्मियों को सबसे ज्यादा नौकरियों गवानी पड़ेंगी. ऐसे में भविष्य में नौकरी करने वालों के लिए जरूरी होगा कि वो बेहतर कौशल और प्रशिक्षण के साथ नौकरी की तलाश करें.

इसके साथ ही अध्ययन में बताया गया है कि मशीनीकरण का प्रभाव पुरुषों की नौकरियों पर भी होगा. अध्ययन के मुताबिक, 2030 तक करीबन चार करोड़ 40 लाख पुरुष कर्मी अपनी नौकरी से हाथ धो सकते है.

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई. इस प्रकार सरकार ने बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की उस खबर को स्वीकार कर लिया है, जिसमें बेरोजगारी दर के पिछले 45 सालों में सर्वाधिक होने की बात कही गई थी.

भारत में महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी 27 फीसदी के निचले स्तर पर बनी हुई है.

मैकिंसे ने यह रिसर्च छह विकसित अर्थव्यवस्ताओं- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूके और यूएस के साथ चार विकासशील अर्थव्यवस्थाओं- भारत, चीन, मेक्सिको और साउथ अफ्रीका पर की गई है. इन 10 देश में विश्व की 50 फीसदी जनसंख्या रहती है और वैश्विक जीडीपी का 60 फीसदी इन्हीं देशों से आता है. लेकिन 2030 तक इन देशों में कार्यरत महिलाकर्मियों की लगभग 20 फीसदी आबादी अपनी नौकरी खो देगी.

अध्ययन में कहा गया है, “मशीनीकरण के कारण लाखों महिलाओं की नौकरी चली जाएगी और जो काम में बने रहना चाहती है, उन्हें अपने कौशल में बड़े बदलाव करने की जरूरत होगी.”

हालांकि अध्ययन में कहा गया है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकासशील देशों में जनसंख्या के अनुपात में कम मशीनीकरण होने की संभावना है. अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि जहां एक ओर विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियां खत्म होंगी वहीं निर्माण और विनिर्माण के क्षेत्र में नई नौकरियां पैदा होने की भी संभावनाएं हैं.

इसके साथ ही कहा गया है कि अगले दस सालों में महिला कामगारों के लिए दो करोड़ 30 लाख और पुरुषों के लिए नौ करोड़ 10 लाख नौकिरयां पैदा होने की संभावनाएं हैं. हालांकि इस दौरान नौकरियों पर खतरा बना रहेगा.

एक और अन्य महत्तवपूर्ण बात अध्ययन से सामने आई है कि वैश्विक स्तर पर सेवा क्षेत्र से बड़े स्तर पर महिलाओं की नौकरियां खत्म होंगी. जबकि भारत में वैश्विक रुख से अलग कृषि क्षेत्र में महिलओं को नौकरी गंवानी पड़ेंगी. फिलहाल भारत में महिला श्रम बल का दो तिहाई फीसद कृषि क्षेत्र में कार्यरत है.

अध्ययन के मुताबिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत कुल महिलाओं का 28 फीसदी नौकरी से हाथ धो सकता है जबकि पुरूषों में ये 16 फीसद रह सकता है.

कृषि क्षेत्र, मत्सय और वानिकी में 40 लाख महिलाएं, हस्तशिल्प और संबंधित व्यापार में 30 लाख महिलाएं और प्राथमिक क्षेत्र में दो लाख महिलाएं अपनी नौकरियां खो सकती हैं. हालांकि इस दौरान निर्माण और स्वास्थ्य क्षेत्र में नौकरियों की संभावनाएं बढ़ेंगी.

नौकरी की प्रकृति में होने वाले इन परिवर्तनों के लिए बेहतर ट्रेनिंग और कौशल की भी जरूरत होगी. ऐसे में दस लाख से एक करोड़ महिलाओं को ज्यादा कौशल के साथ कृषि क्षेत्र से अन्य क्षेत्र में प्रवेश करना होगा.


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