उन्नाव गैंगरेप: हादसे में बीजेपी मंत्री के दामाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज
उन्नाव गैंगरेप से जुड़े राय बरेली हादसे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री के दामाद का नाम हादसे की साजिश रचने वाले दस आरोपियों में से एक के रूप में सामने आया है. हादसे में उन्नाव गैंगरेप मामले की पीड़िता और उसके वकील की हालत बहुत नाजुक है.
असल में पीड़िता के चाचा की तरफ से गैंगरेप मामले में अरुण सिंह को सातवां आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. अरुण सिंह नवाबगंज ब्लॉक का प्रमुख है और प्रदेश में शिक्षा और कृषि शोध का पदभार संभाल रहे मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह का दामाद है.
एफआईआर में अरुण सिंह के खिलाफ पीड़िता के परिवार को डराने की बात कही गई है. शिकायत में पीड़ता के चाचा ने कहा है कि उनके परिवार पर आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के ऊपर से मामला वापस लेने का दबाव डाला गया, अन्यथा परिणाम भुगतने की धमकी दी गई.
अरुण सिंह के ऊपर हत्या, हत्या का प्रयास, धमकी देने और आपराधिक साजिश रचने जैसे संगीन आरोप लगे हैं. वहीं अरुण सिंह ने इन आरोपों को व्यक्तिगत और राजनीतिक दुश्मनी से प्रेरित बताया है.
अरुण सिंह को आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का करीबी माना जाता है.
अरुण सिंह का नाम पिछले साल पिटाई के बाद पीड़िता के पिता की मौत के मामले में भी सामने आया था. पीड़िता के पिता की मौत पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई थी. इस मामले में अरुण सिंह से पूछताछ हुई थी. हालांकि उसके खिलाफ आधिकारिक रूप से मामला दर्ज नहीं किया गया था.
अरुण सिंह ने कहा, “नवाबगंज के एक भूतपूर्व ब्लॉक प्रमुख अवधेश सिंह से मेरी दुश्मनी है. अवधेश सिंह और पीड़िता के चाचा के संबंध काफी अच्छे हैं.”
अरुण सिंह ने इस बार अवधेश सिंह की पत्नी माया सिंह को हराकर ब्लॉक प्रमुख पद का चुनाव जीता था.
अवधेश सिंह ने आगे बताया कि 2006 में एक दलित ब्लॉक प्रमुख राम नरेश निर्मल की हत्या के मामले में वो विवादी था, इस मामले में अवधेश सिंह एक आरोपी था.
अरुण सिंह ने कहा, “अवधेश सिंह का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड रहा है. अवधेश के नाम 40 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. वो पीड़िता के चाचा का इस्तेमाल कर रहा है. उसे लगता है कि मुझे झूठे मामले में जेल भेजकर वो अपने खिलाफ दर्ज मामलों से निजात पा लेगा.”
राय बरेली दुर्घटना को लेकर दर्ज एफआईआर में पीड़िता के चाचा ने अवधेश सिंह का उल्लेख जेल में उनसे मिलने आने वाले व्यक्ति के तौर पर किया है.
वहीं अरुण सिंह ने ससुर के साथ अपने राजनीतिक रिश्तों को कम करके बताया है. अरुण सिंह का कहना है कि ससुर के साथ उसका कोई राजनीतिक रिश्ता नहीं है, वे बस उसके ससुर हैं ना कि राजनीतिक गुरू.
अरूण सिंह ने कहा है कि वो मामले की जांच में सहयोग और नार्को टेस्ट के लिए पूरी तरह से तैयार है.