शक्ति मिल गैंगरेप मामला: हाई कोर्ट ने बरकरार रखी मौत की सजा


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बॉम्बे हाई कोर्ट ने बार-बार बलात्कार करने के दोषी को मौत या उम्रकैद की सजा देने के लिए आईपीसी धारा में किए गए संशोधन की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है.

जस्टिस बीपी धर्माधिकारी और रेवती मोहिते डेरे की बेंच ने शक्ति मिल गैंगरेप मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है.

बेंच ने कहा, “हमारी नजर में धारा 376(ई) पूरी तरह से संविधानसम्मत है, इसिलए मौजूदा मामले में उसे हटाने की जरूरत नहीं है.”

एक ट्रायल कोर्ट ने विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख और मोहम्मद सलीम अंसारी को जुलाई 2013 में कॉल सेंटर में काम करने वाली एक लड़की और अगस्त 2013 में एक फोटो पत्रकार का गैंगरेप करने के मामले में मौत की सजा सुनाई थी.

आईपीसी की धारा 376(ई) में हुए संशोधन के तहत बार-बार बलात्कार करने वाले दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है. दिल्ली में 2012 में 23 वर्षीय छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद यह संशोधन हुआ था.

दोषियों ने अपनी दोषसिद्धि और धारा में हुए संशोधन की संवैधानिक वैधता को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

धारा 376(ई) कहती है कि पहले अगर धारा 376, 376(ए), 376(डी) के तहत आरोपियों को दोषी पाया जा चुका है और बाद में अगर फिर से उन्हें इनमें से किसी एक धारा में दोषी पाया जाता है तो सजा के तौर पर उन्हें उम्रकैद या मौत की सजा दी जाएगी.

इस पूरे मामले में चौथे आरोपी सिराज खान को उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है, वहीं पांचवें नाबालिग आरोपी को सुधार घर भेजा गया है. 21 नवंबर 2018 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 14 जनवरी 2019 को इनकी याचिका सुनने का फैसला किया था, लेकिन तब राज्य सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी.


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