ब्रिटेन: लेबर पार्टी ‘सोशल मोबिलिटी’ के लक्ष्य की जगह ‘सोशल जस्टिस’ को अपनाएगी
ब्रिटेन की लेबर पार्टी अपनी नीतियों में सुधारों की ओर चल पड़ी है. इसी क्रम में पार्टी नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा है कि उनकी पार्टी अगली सरकार के लक्ष्य के रूप में ‘सोशल मोबिलिटी’ के विचार को छोड़ देगी. कॉर्बिन ने कहा कि पार्टी इसकी जगह ऑडिट पॉवर के साथ ‘सोशल जस्टिस कमीशन’ का गठन करेगी.
‘सोशल मोबिलिटी’ सामाजिक स्तर में सुधार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. शाब्दिक अर्थ में इसका मतलब है सामाजिक गतिशीलता. इसके माध्यम से यह जांचने का प्रयास किया जाता है कि व्यक्ति अपने जन्म के बाद अपनी सामाजिक स्थिति बदलने में कहां तक सफल रहा है.
लेबर पार्टी ने आम सहमति से चल रहे इस 40 साल पुराने विचार को पीछे छोड़ने का फैसला किया है. कॉर्बिन ने कहा कि सोशल मोबिलिटी का विचार खुद में ही असफल हो गया है.
जेरेमी कॉर्बिन बर्मिंघम में लेबर पार्टी के एक शिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने इसे नए विचार से बदलने का वादा किया. उन्होंने कहा कि युवा लोगों के पास सफल होने के मौके होने ही चाहिए.
कार्यक्रम में कॉर्बिन ने सोशल मोबिलिटी के विचार को कम प्रभावी बताया. उन्होंने कहा, “वो विचार जिसमें सिर्फ कुछ प्रतिभाशाली या भाग्यशाली लोगों को उनकी पैदाइश के कारण मिली खराब स्थिति से बाहर निकलने का मौका मिलता है. इसकी वजह से लाखों बच्चों को ये मौका गंवाना पड़ता है.”
पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सोशल मोबिलिटी आयोग की जगह सोशल जस्टिस आयोग लेगा. फिलहाल पुराने आयोग को लेबर नेता डेम मार्टिना संभाल रही हैं.
ये नया निकाय सरकार की नीतियों को लेकर ‘सामाजिक न्याय प्रभाव आकलन’ जारी करेगा. जिसमें ग्रीन पेपर, व्हाइट पेपर और कानून को शामिल किया जाएगा. ये मंत्रियों को सामाजिक न्याय के लिए सलाह मशविरा भी देगा.
इस नीतिगत परिवर्तन के माध्यम से लेबर पार्टी ने अपने इस भरोसे को भी रेखांकित किया है कि टोनी ब्लेयर और गॉर्डन ब्राउन की सरकारों ने आर्थिक प्रणाली को बेहतर करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है.
इस दौरान पार्टी ने समाज में बढ़ रही आर्थिक खाईं को लेकर भी चिंता जताई. लेबर पार्टी इस समय ये जाहिर करने में लगी है कि 2017 में चुनाव घोषणापत्र बनाने के बाद से इसकी नीति में सुधार हुआ है.
सोशल मोबिलिटी आयोग का गठन डेविड कैमरून की गठबंधन सरकार ने किया था. इसकी हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि असमानता अब पैदाइश से लेकर काम तक पहुंच चुकी है. रिपोर्ट में कहा गया था कि बीते पांच साल के दौरान सामाजिक गतिशीलता जीवन के हर स्तर पर रुकी हुई है.