सरकार ने जस्टिस कुरैशी पर कॉलेजियम की सिफारिश को किया दरकिनार


there is no need sending article 370 issue to larger bench says sc

 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को सरकार ने दरकिनार कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 10 मई को गुजरात की पैरंट हाई कोर्ट से सबसे वरिष्ठ जज एए कुरैशी के नाम पर सिफारिश की थी.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार सेठ 9 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कॉलेजियम की सिफारिशों को एक तरफ रखते हुए शुक्रवार को सूचना जारी की गई कि राष्ट्रपति ने जस्टिस रवि शंकर झा को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस नियुक्त किया है. सूचना में आगे कहा गया कि जस्टिस सेठ की सेवानिवृत्त पर जस्टिस झा 10 जून से मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे.

वहीं 10 मई को कॉलेजियम ने देश के दूसरे हाई कोर्ट में भी चीफ जस्टिस की नियुक्ति को लेकर सिफारिश की थी. कॉलेजियम ने गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस डीएन पटेल को पदोन्नति देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की थी. केंद्र ने जस्टिस पटेल की नियुक्ति पर 22 मई को हरी झंडी दे दी थी.

इसके साथ ही कॉलेजियम ने मद्रास हाई कोर्ट से सबसे वरिष्ठ जज वी रामसुब्रमण्यम को पदोन्नति देते हुए हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने पर सिफारिश की थी. इसके अलाव कॉलेजियम ने राजस्थान हाई कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज आरएस चौहान को पदोन्नति देते हुए तेलंगाना हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की थी. जस्टिस चौहान फिलहाल तेलंगाना हाई कोर्ट में ही एक्टिंग चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यरत हैं. सरकार ने इन दोनों ही सिफारिश पर अपना रुख अब तक स्पष्ट नहीं किया है.

एक कार्यक्रम के दौरान उच्च न्यायिक पदों पर नियुक्ति के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “कानून मंत्री और कानून मंत्रालय दोनों की ही काफी महत्तवपूर्ण भूमिक होती है. हम केवल एक पोस्ट ऑफिस नहीं है. न्यायिक प्रक्रिया को पूरा सम्मान देते हुए हमें अपना काम करना होता है. हम माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सुझावों के साथ नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश करेंगे.”

इससे पहले बीते साल नवंबर में जस्टिस कुरैशी का ट्रांसफर मुंबई हाई कोर्ट कर दिया गया था. जिसके बाद गुजरात हाई कोर्ट के सदस्यों ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किए. गुजरात हाई कोर्ट एवोकेट एशोसिएशन (जीएचएए) ने प्रस्ताव जारी करते हुए कहा,”हमें लगता है कि इस तरह से ट्रांसफर किया जाना गलत है. यह प्रशासन में सुधार की नीयत से नहीं किया गया है और यह न्यायिक प्रक्रिया को गहरा धक्का है.”


Big News