अदालत ने जामिया छात्रों पर कार्रवाई के संबंध में पुलिस को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया
दिल्ली की एक अदालत ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले महीने विरोध प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर दायर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की याचिका पर दिल्ली पुलिस को कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) पेश करने का निर्देश दिया.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रजत गोयल ने जामिया नगर पुलिस थाने के एसएचओ से 16 मार्च तक इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है कि एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर विश्वविद्यालय परिसर द्वारा की गई शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है.
अदालत ने कहा, ”इस संबंध में संबंधित एसएचओ से एटीआर मांगी गई है. क्या शिकायतकर्ता द्वारा थाने में कोई शिकायत की गई है. यदि हां, तो इस शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है. इस संबंध में क्या कोई जांच/पूछताछ की गई है और यदि हां तो उस जांच/पूछताछ की स्थिति क्या है. यदि कोई संज्ञेय अपराध बनता है, तो कोई प्राथमिकी दर्ज की गई है या नहीं.”
याचिका में जेएमआई विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने दावा किया है कि पुलिस अधिकारी 15 दिसम्बर, 2019 को उस समय परिसर में ”अवैध” रूप से घुस गए थे जब छात्र संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे और छात्रों पर आंसू गैस के गोले दागे गए, लाठीचार्ज किया गया और गोलीबारी की गई.
याचिका में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने की मांग की गई है.
जेएमआईयू छात्रों और स्थानीय लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 15 दिसम्बर, 2019 को दिल्ली के जामिया नगर में विरोध प्रदर्शन किया था.
न्यू फ्रेंडस कॉलोनी में पुलिस के साथ हुई झड़प के बाद प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर चार बसों और दो पुलिस वाहनों को जला दिया था. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था और विश्वविद्यालय परिसर में घुसने से पहले भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े थे. पुलिस ने हिंसा में कथित तौर पर शामिल कई लोगों को हिरासत में लिया था.