लक्ष्य से भटक गई है केंद्र सरकार की बहुप्रचारित ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में प्रारंभ ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ लक्ष्य से काफी दूर है. इस योजना शुरू होने के करीब पांच वर्ष बाद 1297 चयनित ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास के सिर्फ 56 फीसदी कार्य ही पूरे हो सके हैं. इस योजना की परिकल्पना गांवों का कायापलट करने और सुविधा सम्पन्न बनाने के लिए की गई थी.

सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट सांझी डाट जीओवी डाट इन’ पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, तीन जुलाई 2019 तक सांसदों ने इस योजना के तहत 1484 ग्राम पंचायतों की पहचान की थी.

सांसदों के मार्गदर्शन में ग्राम विकास योजना (वीडीएफ) के लिए गांवों को विकास के लिए गोद लिया जाता है. अब तक 1297 ग्राम पंचायतों ने ग्राम विकास योजना के संदर्भ में 68,407 परियोजनाओं का ब्यौरा अपलोड किया है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, “सांसद ग्राम योजना के तहत इनमें से 38,021 परियोजनाएं पूरी हो चुकी है जो कुल परियोजना का 56 फीसदी है.”

गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में किया था. 11 अक्टूबर 2014 को यह योजना शुरू की गई थी. इसके तहत सांसदों को अपने क्षेत्र में एक ‘आदर्श ग्राम’ का चयन करके उसका विकास करना था.

योजना के तहत 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से सांसदों को तीन गांव गोद लेने थे और 2019 से 2024 के बीच पांच गांव गोद लेने की बात कही गई है.

‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के लिए अलग से कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को सांसद निधि के कोष से ही इसका विकास करना होता है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के तहत अरूणाचल प्रदेश, बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, केरल महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब में सांसद आदर्श ग्राम योजना के कार्यो का क्रियान्वयन खराब पाया गया है .

अरूणाचल प्रदेश में गोद ली गयीं 7 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 216 परियोजनाओं में से 28 योजनाएं ही पूरी हुई हैं जबकि असम में गोद ली गयी 35 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 2,229 परियोजनाओं में से केवल 580 योजनाएं ही पूरी हो सकीं. बिहार में ऐसी 82 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 4817 परियोजनाएं में से 1614 योजनाएं ही पूरी हो सकीं.

इसी प्रकार, दिल्ली में गोद ली गयी 13 ग्राम पंचायतों में कोई ग्राम विकास योजना अपलोड नहीं की गयी है. हिमाचल प्रदेश में गोद ली गयीं 14 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 1291 परियोजनाओं में से 420 योजनाएं ही पूरी हुई. कर्नाटक में ऐसी 57 ग्राम पंचायतों में 9,650 ग्राम विकास योजनाओं में से 5,085 योजनाएं पूरी हुई.

आंकड़ें बताते हैं कि केरल में गोद ली गयीं 82 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 4,270 परियोजनाओं में से 1,963 योजनाएं पूरी हुई. ओडिशा में ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या 47 थी जहां 941 ग्राम विकास योजनाओं में से 170 योजनाएं पूरी हुई. पंजाब में 32 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 815 परियोजनाओं में से सिर्फ 257 योजनाएं पूरी हुई.

बाकी राज्यों का हाल भी कोई अधिक बेहतर नहीं था. पश्चिम बंगाल में गोद ली गईं ग्राम पंचायतों की संख्या 9 थी जहां 61 ग्राम विकास योजनाएं बनी लेकिन इनमें से कोई योजना पूरी नहीं हुई.

तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना जैसे राज्यों में इस योजना का क्रियान्वयन काफी अच्छा रहा है. तमिलनाडु में गोद ली गईं ग्राम पंचायतों की संख्या 159 थी जहां 5,282 ग्राम विकास योजनाओं में से 4,591 योजनाएं पूरी हुई. तेलंगाना में गोद ली गईं 45 ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास की 1765 योजनाओं में से 893 योजनाएं पूरी हुई.

गुजरात में गोद ली गईं 75 ग्राम पंचायतों में 1551 ग्राम विकास योजनाओं में से 1241 योजनाएं ही पूरी हुई. मध्य प्रदेश में ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या 68 थी जहां ग्राम विकास योजनाओं की संख्या 2,600 थी और इनमें से 1,765 योजनाएं पूरी हुई.


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